17 March 2019

WISDOM ---- परिष्कृत द्रष्टिकोण के बिना सब अनुदान - वरदान व्यर्थ हैं

 एक  संत  सत्संग  को  चले  जा  रहे  थे  l  देखा  एक  व्यक्ति  नाली  में   गिरा  पड़ा  है   l  संत  ने  उसे  उठाया , मुंह  साफ  किया   व  बैठाया  l  देखते  ही  उसे  पहचान  गए   और  आश्चर्य  से  बोले ---- ' तुम  और  यहाँ  ? "  आदमी  ठिठका  फिर   होश  संभालकर  बोला --- " प्रभु  की  कृपा  है  , अन्यथा  मैं  तो  चारपाई  से  भी    नहीं  उठ  पाता  l  जब  से  आपने  ठीक  किया  ,  तब  से  रोज   बराबर  शराब  घर  तक  तो  चलकर  आ  ही  जाता  हूँ   l   संत  उदास  हो  गए , अपने  अनुदान  का  ऐसा   दुरूपयोग  देखकर  उन्हें  बहुत  पीड़ा  हुई   l   आगे  बढे  तो  देखा  एक  व्यक्ति  नवयुवती  के  पीछे   दौड़ा  चला  जा  रहा  है  l   संत  उसे  पहचान  गए   l   संत  ने  रोका  और  कहा ---  "  तुम  तो  पहले  अंधे  थे   l  आँख  मिलते  ही  इस  हरकत  पर  उतर  आये  l '
 वह  व्यक्ति  बोला  --- " सब  आपकी  कृपा  है  l   जब  तक  अँधा  था  तो  नरक  में  जी  रहा  था   l  आपकी  कृपा  से  नयनो  का  यह  सुख  मिला  है   l "  
  संत    को  यह  सत्य  समझ  में  आया  कि--- सदुपयोग  का  महत्त्व  समझाए  बिना   कोई  भी  अनुदान , वरदान , उपलब्धि  सब  व्यर्थ  है  ,  बल्कि  वह  विनाशकारी  और  पतनगामी  भी  हो  सकते  हैं   l