24 June 2023

WISDOM ----

 लघु कथा ---- एक  बार  महाराजा  पुरंजय  ने  राजसूय यज्ञ  का  आयोजन  किया  l  इसमें  उन्होंने  दूर -दूर  से  ऋषि -मुनियों  को  आमंत्रित  किया  l  यज्ञ  की  पूर्णाहुति  का  दिन  आया l  महाराज , महारानी , राजकुमार  सभी  यज्ञ मंडप  में विराजमान  थे  l  वेद  मन्त्रों  की  ध्वनि  से  वातावरण  गुंजित  हो  रहा  था  l  अचानक  एक  किसान  के  रोने  की  आवाज  सुनाई  दी  l  वह  रोते  हुए  कह  रहा  था --- " डाकुओं  ने  मेरी  संपत्ति  लूट  ली  , मेरी  गाय  छिनकर  ले  गए  l  अभी  वे  थोड़ी  ही  दूर  गए  होंगे  ,  राजा  तुरंत  उनको  पकड़कर  मेरी  संपत्ति  दिलाएं  l "  पंडितों  ने  कहा --- "इस  व्यक्ति  को  दूर  ले   जाओ  ,  यदि  राजा   इस  पर  दया  कर  के  पूर्णाहुति  किए  बिना  उठ  गए   तो  देवता  कुपित  हो  जायेंगे  l  "  लेकिन  राजा  किसान  का  रुदन  सुनकर  व्याकुल  हो  गए   और  बोले --- " मेरा  पहला  कर्तव्य  प्रजा  का  संकट  दूर  करना  है  l  मैंने  अनेक  यज्ञ  पूर्ण  किए  हैं  l  आज  मैं  पहली  बार  यज्ञ  पूर्ण  किए  बिना   अपने  राज्य  के  किसान  का  संकट  दूर  करने  जा  रहा  हूँ  l "  उनके  यह  कहने  पर  साक्षात्  यज्ञ  भगवान  प्रकट  हुए   और  बोले -- " राजन  !  तुम्हे  कहीं  जाने  की  आवश्यकता  नहीं  है  l  यह  तुम्हारी  परीक्षा  थी  कि  तुम  अपनी  प्रजा  के  प्रति  कर्तव्य  का  पालन  करते  हो  या  नहीं  l  अब  तुम्हे  सौ  राजसूय  यज्ञों   का  फल  मिलेगा  l  "