4 October 2023

WISDOM ------

   एक  संत  जंगल  में  झोंपड़ी  बनाकर  रहते  थे  l  वे  राह  से  गुजरने  वाले  पथिकों  की  सेवा  करते  और  भूखों  को  भोजन  कराया  करते  थे  l  एक  दिन  एक  बूढ़ा  व्यक्ति  उस  राह  से  गुजरा  l  उन्होंने  हमेशा  की  तरह  उसे  विश्राम  करने  को  स्थान  दिया   और  फिर  खाने  की  थाली  उसके  आगे  रख  दी   l   बूढ़े  व्यक्ति  ने  बिना  प्रभु  स्मरण  किए  भोजन  प्रारम्भ  कर  दिया  l  जब  संत  ने  उन्हें  याद  दिलाया   तो  वे  बोले ---- " मैं  किसी  भगवान  को  नहीं  मानता  l "  यह  सुनकर  संत  को  क्रोध  आ  गया   और  उन्होंने  बूढ़े  व्यक्ति  के  सामने  से  थाली  खींचकर   उसे  भूखा  ही  विदा  कर  दिया  l  उस  रात  उन्हें  स्वप्न  में  भगवान  के  दर्शन  हुए  l  भगवान  बोले  ---- " पुत्र  !  उस  वृद्ध  व्यक्ति  के  साथ  तुमने  जो   दुर्व्यवहार  किया  , उससे  मुझे  बहुत  दुःख  हुआ  l "  संत  ने   आश्चर्य  से  पूछा --- " प्रभु  !  मैंने  तो  ऐसा  इसलिए  किया  था  कि  उसने  आपके  लिए  अपशब्दों  का  प्रयोग  किया   l "  भगवान  बोले  ----- " उसने  मुझे  नहीं  माना   तो  भी  मैंने  उसे  आज  तक  उसे  भूखा  नहीं  सोने  दिया   और  तुम  उसे  एक  दिन  का  भी  भोजन  न  करा  सके  l "  यह  सुनकर  संत  की   आँखों  में  अश्रु  आ  गए  और  स्वप्न  टूटने  के  साथ    संत  को   समझ  आ  गया  कि  देने  वाला  तो  ईश्वर  है , हम  तो  केवल  एक  माध्यम  हैं  l   हम  सब  ईश्वर  की  संतान  हैं  और  ईश्वर  अपनी  सभी  संतानों  से  प्रेम  करते  हैं    l  हम  मनुष्य  ही  सांसारिक  मतभेदों  और  विवादों  में  उलझकर  उस   निस्स्वार्थ  प्रेम  को  समझ  नहीं  पाते  l