23 August 2019

WISDOM ---- प्रकृति मनुष्य के अहंकार को बरदाश्त नहीं करती

 प्राचीन  काल में   विद्वान, वैज्ञानिक , ऋषि - मनीषी  आदि  अपनी  क्षमता   एवं   प्रतिभा   आदि  का  उपयोग  जन  समुदाय  के  कल्याण  कार्यों  व  समाज  के  उत्थान  में  करते  थे  लेकिन  आज  स्थिति   सर्वथा  विपरीत  हो  गई  है   l  आज की  वैज्ञानिक  एवं  राजनीतिक  प्रतिभा  अपनी  क्षमताओं  का  दुरूपयोग   विनाश  के  साधन  जुटाने  में   करती  है   l  सुविख्यात  मनीषी  कार्ल   मेनीन्जर  का  कहना  है  ---- अपने  अहंकार  की  पूर्ति  के  लिए  जिस  तरह  एक  देश   दूसरे  देश  को  नीचा  दिखाने  के  लिए  परमाणु  हथियारों  का  उपयोग  करता  है  l  उसके  प्रभाव  से  वह  सारा  क्षेत्र  जीवन  विहीन  हो जाता है   और  वातावरण  में   विकिरण  की विषाक्तता  और  स्वास्थ्य  संहारक  विषाणुओं  की  फौज  ही  शेष  रह  जाती  है   l  यह  कार्य  उन  संस्थाओं  या   सरकारों  का  होता  है   जिन्हें  जनता  नियमित  रूप  से   तरह - तरह  के  उपायों  से  कर   चुकती  है  l   
 प्रकृति   मनुष्य  के  इस  अहंकार  को  बर्दाश्त  नहीं  करती   और  मनुष्य के  दुष्कृत्यों  से  विक्षुब्ध  होकर
 ' जैसे  को  तैसा '  का  पाठ   पढ़ाने  को  आतुर   दीखती  है  l बाढ़ , सूखा, चक्रवात , तूफान , भूकंप , ज्वालामुखी  विस्फोट , जंगलों  में  आग , कैंसर , एड्स  जैसी  घातक  बीमारियाँ , हत्या , अपराध , आत्महत्या  की  बढ़ती  प्रवृतियां  --- इन  सबके  पीछे  अप्रत्यक्ष  रूप  से  प्रकृति  की  नाराजगी  ही  है  l  श्रेष्ठ विचार  , 'जियो  और  जीने  दो '  की  भावना  से  ही  समस्याएं  हल  होंगी  l