28 December 2019

WISDOM ----- इस संसार में सज्जन को सज्जन तथा दुष्ट को दुष्ट सलाहकार मिल जाते हैं

  श्रीमद भागवत   कथा   शुकदेव जी  ने  राजा  परीक्षित  की  सुनाई   l   इस  कथा  में   प्रसंग  है ---  कंस  की  चचेरी  बहन  देवकी  का  विवाह ,  वसुदेव   से  हुआ  , तब  विदा  के  समय   स्नेहवश  कंस  स्वयं   रथ  हाँक  रहा  था   l  रास्ते  में  आकाशवाणी  हुई  कि   तू  जिसका  रथ  हाँक  रहा  है  ,  उसके  आठवें  पुत्र  द्वारा  ही  तेरा  वध  होगा  l   यह  सुनकर  कंस  तलवार  लेकर  देवकी  को  मारने  दौड़ा  l   तब  वसुदेव   ने  उसे  समझाया  --- मृत्यु  तो  सब  की  निश्चित  होती  है  ,  तुम  अपनी  बहन , जो  तुम्हारी  पुत्री  जैसी  है ,  उसे  मारने  का  कलंक  क्यों  अपने  ऊपर  ले  रहे  हो  l   उन्होंने  कंस  को  बहुत  समझाया  लेकिन  वह  माना  नहीं  l   नीति   कहती  है ---भाग्य  के  नाम  पर   जो  अपने , प्रयास  और  पुरुषार्थ  को  छोड़  बैठते  हैं   वे  दोष  के , पाप  के  भागी  होते  हैं ,  इसलिए  किसी  भी   परिस्थिति  में  से  मार्ग  निकालने   का  प्रयत्न  करना  चाहिए  l '    ऐसा  सोचकर   वसुदेव   ने  कहा --- आपको  देवकी  के  पुत्रों  से  खतरा  है   l  मैं  इसके  पुत्र  होते  ही  आपको  सौंप  दूंगा  l   अपने  मंत्रियों  की  सलाह  से  उसने  देवकी  और  वसुदेव   को   कैद  कर  लिया  और  उसके  सभी  पुत्रों  को  मारता  गया  l    आठवें  पुत्र  के  रूप  में  भगवान   कृष्ण  का  जन्म  हुआ  l  सब  कुछ  ईश्वर  की  लीला  थी  , वसुदेव  कृष्णजी  को  लेकर  गोकुल  गए  , वहां  यशोदा  मैया  के  पास  उन्हें  सुला  दिया  और  उनकी  नवजात  कन्या  को  लेकर  बंदीगृह  में  वापस  आ  गए   l  जब  पहरेदारों  ने  बच्चे  के  रोने  की  आवाज  सुनी  तो  कंस  को  सूचना   दी   l   कंस  भागता  हुआ  आया  (  कोई  कितना  भी  ताकतवर  हो  मृत्यु  से  डरता  है )  और  देवकी  की   गोद    से  कन्या  को  छीनकर  उसे  चट्टान  पर  पटक  दिया  l   वह  कन्या  उसके  हाथ  से  छूटकर  आकाश  में  चली  गई   और  कहा --- अरे  मूर्ख  !  तुझे  मारने  वाला  तो  कहीं  और  पैदा  हो   चुका    है   l
  अब  कंस  ने  यह  सुनकर  अपने  मंत्रियों  को  सलाह  के  लिए  बुलाया  l   शुकदेव जी  कहते  हैं ---- एक  तो  कंस  बुद्धि   स्वयं  भ्रष्ट  थी ,  फिर  उसे  मंत्री  ऐसे  मिले  जो  एक  से  बढ़कर  एक  दुष्ट  थे   l   शुकदेव जी  कहते  हैं --- यदि  हमारा  विवेक  जाग्रत  नहीं  है    तो  दूसरों  की  सलाह  हमें  भटका  सकती  है   l  
  मंत्रियों  की  सलाह  से   कंस  ने    सबने  मिलकर   निर्णय  किया  कि   जहाँ  भी  सत्प्रवृत्तियाँ  होंगी ,  अच्छे  कार्य  होंगे  उन्हें  नष्ट  कर  देंगे   और  सभी  नवजात  शिशुओं  की  हत्या  करने  की  योजना  बनाई  l
  राक्षसों  ने  उत्पात  मचाना  शुरू  कर  दिया  ,  सब  जगह  त्राहि - त्राहि  मच  गई  l
निरपराध   को  सताना   ,  श्रेष्ठता  को  मिटाना   पतन  का  कारण   है   l   कृष्णजी  के  हाथों  कंस  का  वध  हुआ  l