8 November 2017

WISDOM ----- कृपण नहीं उदार बने

  कृपणता  एक  ऐसी  बुद्धिहीनता  है  कि  व्यक्ति  सारी  सुविधाएँ  होते  हुए  भी  स्वयं  क्षुद्रता  के  साथ  जीता  है   और  साथ  ही  किसी  अन्य  का  भी  कोई  लाभ  नहीं  कर  पाता ,  संसाधनों  के  होते  हुए  भी   कृपण  व्यक्ति  अभाव  के  मार्ग  का  चयन  करता  है   l  कृपणता  एक  ऐसी  मानसिकता  है  जो  धन  का  संग्रह  तो  करवाती  है  ,  लेकिन  उसका  उपयोग  करना  नहीं  सिखाती  l
  इस  सम्बन्ध  में  एक  कथा  है ---- एक  गाँव  में  एक  वृद्ध  महिला  थी  जो  अपने  छोटे  से  परिवार  के  साथ  रहती  थी  l  उसके  पास  इतना  खेत  था  कि  एक  वर्ष  की  फसल  तैयार  हो  जाती  थी  l   एक  बार  उसने  धान  का  चावल  करवाया  तो  ज्ञात  हुआ  कि  वर्ष  के  365  दिनों  में  से  364  दिन   का  ही  चावल  है ,  एक  दिन  के  लिए  चावल  कम  पड़  रहा  है  l  उसे  बड़ी  चिंता  हो  गई  कि  इस  एक  दिन  की  कमी  कैसे  पूरी  करे  l बहुत  सोच  कर  उसने  तय  किया  कि    आज  पहले   दिन  भूसी  खा  लें  ,  ताकि  शेष  364  दिन  सुख पूर्वक  कट  जाएँ  l  यह   सोचकर  वह  भूसी  खाकर ,  पानी  पीकर  सो  गई  l  वृद्ध  महिला  के  पेट  में  भूसी  इतनी  फूल  गई  कि  वह  पचा  न  सकी  और  वहीँ  मर  गई   l   
      संग्रहकर्ता  की  सोच  बहुत  संकीर्ण  होती  है    लेकिन  जिन्हें  ईश्वर  पर  विश्वास  है  वे  उदार  बनकर  जीते  हैं   l  जो  कुछ  अपने  पास  है  उसे  जरुरतमंदों  को  देना   उदारता    है  l  उदार रहने  पर  व्यक्ति  को  आंतरिक  संतोष  प्राप्त  होता  है   और  वह  बाहरी  सम्पदा  से  ओत-प्रोत  रहता  है   l