3 July 2019

WISDOM ---- अच्छा , बुरा होना हिन्दू या मुसलमान होने पर निर्भर नहीं है बल्कि यह मनुष्यों का अपनी प्रवृतियों के अनुसार एक स्वभाव होता है

इतिहास  में  ऐसे  अनेकों  उदाहरण  भरे  पड़े  हैं   जो  यह  बताते  हैं  कि  जाति  या  धर्म  से  कोई  बुरा  नही  होता  ,  व्यक्ति  के  अपने  संस्कार  व  स्वभाव  है  जिससे  विवश  होकर  वह  अच्छे  या  बुरे  कर्म  करता  है   l   ----- गुरु गोविन्दसिंह  जब  आनंदगढ़  के  किले  में  अपने  परिवार  के  साथ  थे   तब  औरंगजेब  ने   धर्मद्रोही  और  देशघाती  राजाओं  के  साथ  मिलकर   उस  किले  पर  आक्रमण  किया  l  इस  युद्ध  में  उनका  परिवार  बिछुड़  गया  l  गुरु  गोविन्दसिंह  अपने  दो  पुत्रों  के  साथ  एक  ओर  जा  पड़े  और    उनकी  माँ  व  गुरूजी  के  दो  छोटे  पुत्र  दूसरी  और  जा  पड़े  l    गुरु  गोविन्दसिंह  की  माता  अपने  दो  छोटे  पोतों  के  साथ  रसोइये  गंगू  के  अनुरोध  पर  उसके  घर  चली   गईं l   किले  से  निकलते  समय  माता  अपने  साथ  जेवरात  तथा  जवाहरात  की  पिटारी  ले  आईं  थीं  l  इस  पिटारी पर गंगू  रसोइये  की  नियत  खराब  हो  गई  और  उसने   सरहिन्द  के  नवाब  को  खबर  कर  गुरु  गोविन्दसिंह  के  दो  पुत्रों  और  उनकी  माता  को  गिरफ्तार  करा  दिया  l   बाद  में  जब  गंगू  नवाब  से  इनाम  लेने  गया  तो  नवाब  ने  उस  कौमी  गद्दार  को  जल्लादों  को  सौंप  कर मरवा  दिया  l
  दूसरी  ओर  जब  गुरु  गोविन्दसिंह   जंगलों , पहाड़ों  नदी - नाले  पार  करते  हुए  एक  गाँव  में  आ  गए   तो  वहां  दो  पठानों  ने  गुरूजी को  पहचान  लिया   और  उन्हें  प्रणाम  कर  बोले --- " महाराज , आप  आगे  न  जाएँ  , वहां  खतरा  है   l  उन्होंने  कहा --- ' यद्दपि  हम  मुसलमान  हैं  पर  आपके  शुभ चिन्तक  हैं  l हम  जानते  हैं  कि आप  हिन्दू - मुसलमानों  का  सवाल  लेकर  नहीं  लड़  रहे  l  आप  अन्याय  के  विरुद्ध  लड़  रहे  हैं  l  आपने  न्याय  के  लिए  अपनी  सम्पति  और  परिवार  तक  को  बलिदान  कर  दिया  l   आततायी  और अन्यायी  चाहे  वह  हिन्दू  हो  या  मुसलमान,  असामाजिक ही  होता  है  l  '  उन  पठानों  ने  मुसलमान  मौलवियों  के  वेश  में   गुरूजी  को  अपने  कन्धों  पर  चढ़ाकर  खतरे  से  बाहर  निकाल  दिया  l 
  वर्तमान  युग  में  हम  देखें  तो  एक  ही  परिवार , एक  ही  जाति - धर्म  में  पैदा  हुए  भाई - भाई  धन  व  सम्पति  के  लिए  एक - दूसरे  के  कट्टर  दुश्मन  हो  जाते  हैं  l  जिन  परिवारों  में  महिलाएं  अकेली  रह  जाती  हैं , कमजोर  हैं   उनकी  सम्पति  को  उसके  परिवार  के  सदस्य  ही   हड़प  लेते  हैं  l  इसी  तरह  विभिन्न  संस्थाओं  में  , नौकरी  में   अपनी  महत्वाकांक्षा  के  कारण  लोग  अपनी  ही  जाति - धर्म  के  लोगों  की  तरक्की  में  बाधा  डालते  हैं , उनका  हक  छीनते  हैं  ,  मानसिक  रूप  से  उत्पीड़ित  करते  हैं  l  दहेज  के  लिए  अत्याचार  कोई  गैर  नहीं , अपने  ही  करते  हैं  l 
समाज  में  सुख - शान्ति  रहे   इसके  लिए जागरूकता  जरुरी  है ,  कौन  अपना , कौन  पराया , कौन  अच्छा , कौन  बुरा ,  विवेक  द्रष्टि  से  इसकी  पहचान  जरुरी  है  l