कहा जाता है कि विज्ञान तथ्यों पर आधरित है l विज्ञान के निष्कर्षों को संसार के किसी भी कोने में परखा जाये , वे सत्य सिद्ध होते हैं l वे व्यर्थ की कल्पना पर या अदृश्य चीजों पर आधरित नहीं होते l लेकिन कभी ऐसा वक्त आ जाता है कि अदृश्य की सत्ता को स्वीकार करना पड़ता है l संवेदन शून्य होने के कारण अदृश्य की नकारात्मकता को , असुरता को स्वीकार किया , साक्षात् महाकाल की सत्ता को नहीं l
विज्ञान की सबसे बड़ी हार है कि वह सम्पूर्ण चिकित्सा , अरबों - खरबों की सम्पति सब कुछ लगाकर भी मृत्यु पर विजय नहीं पा सका l इसी हार से बौखलाकर वैज्ञानिक समय - समय पर विभिन्न प्रयोग करते हैं कि कैसे मृत्यु को रोका जाये l इन प्रयोगों से मृत्यु को तो नहीं रोक पाते , मृत्यु के और नए कारण पैदा हो जाते हैं l यदि विज्ञान ने अध्यात्म के साथ मेल रखा होता , विकास के नाम पर प्रकृति का शोषण न किया होता तो प्राकृतिक आपदाओं का खतरा न रहता l प्रकृति कब क्रुद्ध हो जाये , बाढ़ , भूकंप , सुनामी , तूफान आदि से कब ,कितने काल के गाल में चले जाएँ कोई नहीं जानता l
आवश्यक है कि हम उस अज्ञात शक्ति को , महाकाल की सत्ता को स्वीकार करें , स्वयं को ईश्वर समझने की भूल न करें l
विज्ञान की सबसे बड़ी हार है कि वह सम्पूर्ण चिकित्सा , अरबों - खरबों की सम्पति सब कुछ लगाकर भी मृत्यु पर विजय नहीं पा सका l इसी हार से बौखलाकर वैज्ञानिक समय - समय पर विभिन्न प्रयोग करते हैं कि कैसे मृत्यु को रोका जाये l इन प्रयोगों से मृत्यु को तो नहीं रोक पाते , मृत्यु के और नए कारण पैदा हो जाते हैं l यदि विज्ञान ने अध्यात्म के साथ मेल रखा होता , विकास के नाम पर प्रकृति का शोषण न किया होता तो प्राकृतिक आपदाओं का खतरा न रहता l प्रकृति कब क्रुद्ध हो जाये , बाढ़ , भूकंप , सुनामी , तूफान आदि से कब ,कितने काल के गाल में चले जाएँ कोई नहीं जानता l
आवश्यक है कि हम उस अज्ञात शक्ति को , महाकाल की सत्ता को स्वीकार करें , स्वयं को ईश्वर समझने की भूल न करें l