30 August 2022

WISDOM----

 लघु  कथा ---- कोयल  और  चींटी   उद्यान  में  एक  साथ  रहकर  आनंद पूर्वक  जीवन  व्यतीत  कर  रहीं  थीं  l कोयल  आम  के  वृक्ष  पर  बैठकर  मधुर  गीत  गाती  रहती  थी  ,  और  चींटी  वृक्ष  की  जड़  के  पास  एक  छोटे  छिद्र  में  रहकर  दिन -रात   अपनी  भोजन  व्यवस्था  में  जुटी  रहती  थी  l  बसंत  का  मौसम  था  ,  चींटी  ने  देखा  कोयल  दिन  भर  अठखेलियाँ  करती  है , गाना  गाती  रहती  है  ,  उसने  कोयल  को  समझाया   कि  सब  दिन  एक  समान  नहीं  रहते ,  कब  कौन  सी  विपत्ति  आ  जाये  , कोई  नहीं  जानता  इसलिए  भविष्य  का  ध्यान  रखना  चाहिए  l  परन्तु  कोयल  ने  उसकी  एक  न  सुनी  l  थोड़े  दिन  बाद  ही  पतझड़  आया  , पत्ते  गिरने  लगे , फूल  मुरझाने  लगे   अब  कोयाल की  सहायता  करने  वाला  कोई  न  था  l  अब  वह   सहायता  के  लिए  चींटी  के  पास  गई   और  बड़ी  नम्रता  से  सहयोग  के  लिए  याचना  की  l  चींटी  बोली  ---- " जब  तुम  झूम -झूमकर  गाती  थीं  , अठखेलियाँ  करती  थीं  ,  तब  शायद  तुम  भूल  गईं  थीं  कि प्रत्येक  बसंत  के  बाद  पतझड़  आता  है  l  मैंने  पतझड़  का  ध्यान  रखा,  श्रम  का  महत्त्व  समझा   और  अब  मैं  तुम्हारी  मदद  करने  की  स्थिति  में  हूँ  l  "

WISDOM -----

 ऋषियों  का  वचन  है --- 'तृष्णा  का  कोई  अंत  नहीं  है l आकाश  की  तरह  उसके  पेट  में  बहुत  कुछ  भरा  होने  पर  भी  खाली  ही  रहता  है  l  '  व्यक्ति  स्वयं  समाप्त  हो  जाता  है  लेकिन  तृष्णा  कभी  समाप्त  नहीं  होती  l  ---- महाभारत  में  राजा  ययाति  की  कथा  का  वर्णन  है  l  सुख -भोग  भोगते  हुए  कब  सौ  वर्ष  बीत  गए , उन्हें  पता  ही  नहीं  लगा  l होश  तब  आया  जब  दरवाजे  पर  यमराज  उपस्थित  हुए  और  कहा ---- "ययाति  ! तुम्हारी  आयु  पूर्ण  हुई , कर्मों  की  गठरी  बांधों  और  यमलोक  चलो  l "  ययाति गिड़गिड़ाए  --- " पर  इतनी  जल्दी  कैसे  ! अभी  तो  मेरी  सभी  इच्छाएं   अधूरी  हैं  , कृपया  मुझे  जीवन  दान  दें  l " यम देवता  बोले -- " ऐसा  संभव  नहीं  है  l स्रष्टि  का  शाश्वत  नियम  है  कि  हर  व्यक्ति  को  निश्चित  आयु  भोगने  के  बाद  यहाँ  से  विदा  होना  पड़ता  है  l " ययाति  ने  दीनता  भरे  स्वर  में  कहा --- " देव ! आप  समर्थ  हैं , कुछ  उपाय  करें  l " यम  देवता  ने  कहा --- ' तुम्हारे  सौ  पुत्र  हैं  ,  यदि  कोई  अपना  यौवन  अपनी  आयु  तुम्हे  देने  को  सहमत  हो  जाये  तो  तुम्हारी  इच्छा  पूरी  हो  सकती  है  , फिर  मैं  वापस  लौट  सकता  हूँ  l ' कामग्रस्त  ययाति  विवेकशून्य  हो  चुके  थे  ,  अपने  सभी  सौ  पुत्रों  से  निर्ल्लज  होकर  यौवन  की  भीख  मांगी  l  अपने  पिता  की  वृद्धावस्था  में  ऐसी  मन:स्थिति  देखकर  पुत्रों  को  बहुत  क्रोध  आया  और  आश्चर्य  भी  हुआ  l  सबने  अपना  यौवन  देने  से  मना  कर  दिया  l  सबसे  छोटा  पुत्र  विचारशील  था ,  उसे  अपने  पिता  पर  दया  आ  गई ,  वह  अपनी  आयु  राजा  को  देने  को  सहमत  हो  गया   l  ---- ययाति  ने  सौ  वर्ष  और  भोग  विलास  का  जीवन  जिया   l  पौराणिक  कथा  के  अनुसार  उनके  सैकड़ों  पुत्र  पैदा  हुए  l  प्रत्येक  सौ  वर्ष  बाद  यम देवता  आते  और  ययाति  दीन हीन    बनकर  उनसे  जीवन  की  याचना  करते   l  इस  तरह  ययाति  को  दस  बार   अपने  पुत्रों  से  जीवन  दान  मिला   और  वे  भोग विलास  में  निरत  रहे  l  इस  तरह  हजार  वर्ष  बीत  गए  l  अंतिम  बार  जब  मृत्यु  देवता  उपस्थित  हुए   तो  ययाति  ने  पश्चाताप  व्यक्त  करते  हुए  कहा --- ' देव ! मेरा  जीवन  व्यर्थ  चला  गया  l  पापों  की  गठरी  सिर  पर  लिए  मैं  यह  अनुभव  करते  हुए  जा  रहा  हूँ  कि  कामनाओं -वासनाओं  की   तृप्ति  कभी  नहीं  हो  सकती  l  "  उन्हें  अंततः  नरक  की  अग्नि  में   विक्षुब्ध  होकर  अपनी  नियत  अवधि  पूरी  करनी  ही  पड़ी  l