8 October 2022

WISDOM -----

  भारतीय  तत्ववेत्ताओं  का  कहना  है  कि मानव  के  बंधन  और  दुःख  उसके  अतीत  के  गलत  कार्यों  व  कर्मों  के  स्वाभाविक  परिणाम  हैं  l  यदि  इस  जीवन  में  शुभ  और  उचित  कर्म  निष्ठापूर्वक  किए  जाएँ  तो  भविष्य  में  उनका   शुभ  फल  प्राप्त  होने  की  पूर्ण  संभावना  है   l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं --- " मनुष्य  का  जीवन  एक  खेत  है  ,  जिसमें  कर्म  बोए  जाते  हैं   और  उन्ही  के  अच्छे -बुरे  फल  काटे  जाते  हैं  l  जो  अच्छे  कर्म  करता  है  , वह  अच्छे  फल  पाता  है  ,  बुरे  कर्म  करने  वाला  बुराई  ही  समेटता  है   l '  आचार्य श्री  लिखते  हैं --- कर्म  करना  मनुष्य  के  हाथ  में  है  लेकिन   उसका  फल  कब  और  कैसे  मिलेगा  यह  काल  निश्चित  करता  है  l   कर्मों  का  इच्छानुसार  फल  प्राप्त  करना  हो  तो   प्रयत्न  के  अतिरिक्त  धैर्य  की  भी  आवश्यकता  होती  है   l "  यदि  आज  हम  कोई  नेक  कर्म  कर  रहे  हैं   तो   आज  या  कल  में  या  कुछ  ही  दिनों  में  हमको  उसका  सुफल  नहीं  मिल  जायेगा  ,  ईश्वर  तराजू  में  तोलकर  न्याय  करते  हैं  ,  हम  निरंतर  सत्कर्म  करें   और  ईश्वरीय  चमत्कारों  को  महसूस  करें  l    एक  कथा  है ----- ' बंदरों  का  एक  दल  आम  के  बाग  में  निवास  करता  था  l  बन्दर  जब  भी  आम  तोड़ने  का  प्रयास  करते   तो  आम  तो  कम  ही  हाथ  लगते  ,  पर  बाग  के  रखवालों  के  पत्थर  ज्यादा  झेलने  पड़ते  l  तंग  आकर  बंदरों  के  सरदार  ने  एक  दिन  सभी  बंदरों  की  सभा  बुलाई   और  उसमें  घोषणा  की   कि  ' आज  से  हम  लोग  अपना  अलग  बाग  लगाएंगे  और  उसमे  आम  के  पेड़  लगाएंगे  l  इससे  रोज -रोज  के  झंझट  से  मुक्ति  मिलेगी  l ' सब  बंदरों  को  यह  बात  जंच  गई   और  सबने  आम  की   एक -एक  गुठली  ली  और  जमीन  में  गड्ढा  खोद  कर  बो  डाली  l  सब  बंदरों  में  प्रसन्नता  की  लहर  व्याप्त  हो  गई  कि  अब  शीघ्र  ही  हर  बन्दर  आम  के  एक  पेड़  का  स्वामी  होगा  l  बंदरों  में  धैर्य  नहीं  था  , कुछ  ही  घंटे  गुजरे  थे   कि  बंदरों  ने  जमीन  खोदकर  गुठलियाँ  निकाल  कर  देखना  शुरू  किया  कि  उनमें  से  पेड़  निकले  या  नहीं   l  थोड़ी  ही  देर  में  सारा  बाग  उजाड़  गया  l