9 March 2013

प्रत्येक छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम शांत और संतुलित मस्तिष्क द्वारा ही पूरे किये जा सकते हैं | संसार में मनुष्य ने अब तक जो कुछ भी उपलब्धियां प्राप्त की हैं ,उनके मूल में धीर -गंभीर ,शांत मस्तिष्क ही रहें हैं |
स्कॉटलैंड का सम्राट ब्रूस अभी गद्दी पर बैठ भी नहीं पाया था कि दुश्मनों का आक्रमण हो गया | संभल ही पाया था कि फिर दोबारा हमला हो गया हारते -हारते बचा | फिर सेना व्यवस्थित की ,पर कई राजाओं ने मिलकर हमला किया तो राजगद्दी छिन गई | लगातार चौदह बार उसने राजगद्दी पाने का प्रयास किया ,पर असफल रहा | उसके सैनिक भी उसके भाग्य को कोसने लगे और उसे छोड़ कर जाने लगे | निराश ब्रूस एक दिन एक खंडहर में बैठा था | एक मकड़ी हवा में उड़कर एक दूसरे पेड़ की टहनी से जोड़कर जाला बनाने का प्रयास कर रही थी | मकड़ी खंडहर में थी ,पेड़ बाहर था ,जाला हर बार टूट जाता था | बीस बार प्रयास किया ,हर बार टूट गया | 21 वीं बार में वह सफल हो गई | ब्रूस उछल कर खड़ा हो गया | बोला -"अभी तो सात अवसर मेरे लिये बाकी हैं | हिम्मत क्यों हारू ?"पूरी शक्ति लगाकर व्यवस्थित सेना के साथ उसने फिर हमला किया ,सभी दुश्मनों को हराकर उसने राज्य वापस लिया और सारे देश का सम्राट बन गया |
एकाग्रता ,मनोयोग ,शक्ति संचय ही सफलता की धुरी हैं |