8 December 2022

WISDOM

   लघु -कथा ---- एक  ऊंट  बड़ा  आलसी  था  l  चरने  के  लिए  जंगल  जाना   और  परिश्रम  करना  उसे  बहुत  बुरा  लगता  था  l   एक  बार  महादेव और   पार्वती  वहां  से  निकले   तो   ऊंट  उनके  सामने  गरदन  झुककर  खड़ा  हो  गया  l  महादेव जी  ने  कहा --- 'कहो  क्या  बात  है  , क्या  चाहते  हो  ? '  ऊंट  ने  कहा --. भगवन  !  यदि  आप  प्रसन्न  हों  तो  मेरी  गरदन  एक  योजन  लम्बी  कर  दीजिये   जिससे  मैं  एक  ही  स्थान  पर  बैठा -बैठा   दूर  तक  के  वृक्षों  को  चर  लिया  करूँ  , इधर -उधर  जाने  का  कष्ट  मुझे  न  उठाना  पड़े  l '  महादेव जी  ऊंट  पर  बहुत  झल्लाए   और  उसे  समझाया  ---" आलस्य  का  पोषण  करने  वाला  वरदान  मांगता  है , यह  तो  तेरे  नाश  का  कारण  बन  जायेगा  l  उचित  परिश्रम  कर  के  कमाई  गई   वस्तुएं  ही  सुखदायक  होती  हैं  l "  लेकिन  ऊंट  ने  कुछ  भी  नहीं  समझा , वह  गरदन  झुकाए  एक  पैर  से खड़ा  रहा  l  पार्वती जी  को  उस  पर  दया  आई  , उन्होंने  कहा  --आप  हजारों  प्राणियों  को  नित्य  ही  वरदान  देते  हो  , इसे  भी  दे  दीजिए  l  महादेव जी  ने  देखा  कि  यह  ऊंट  बड़ा  जिद्दी  है , कुछ  समझना  नहीं  चाहता  तो  उन्होंने  भी  कह  दिया  ' तथास्तु ' l  अब  ऊंट  की  गर्दन  एक  योजन  लम्बी  हो  गई   और  चैन  से  उसका  समय  काटने  लगा  l  लेकिन  समय  जाते  देर  नहीं  लगती  l   वर्षा  शुरू  हुई  , कहाँ  तक  वह  पानी  में  भीगता  सो  एक  लम्बी  गुफा  में  उसने   अपनी  लम्बी  गर्दन  को  किसी  तरह  टिका  दिया   l  उसी  समय  एक  श्रगाल  भी  भीगता  हुआ  उस  गुफा  में  आ  गया  l  वह  भूखा  था  ,  उसने  समझा  यह  मांस  का  इतना  बड़ा  लट्ठ  पड़ा  है  l वह  बहुत  खुश  हुआ  और  मजे  से   उस  मान  को  खाने  लगा  l  एक  योजन  लम्बी  गर्दन  को  इतनी  आसानी  से  गुफा  से  निकालना   संभव  नहीं  था , ऊंट  वैसे  ही  आलसी  था  जब  तक  प्रयास  करता   सियार  ने  उसकी  गरदन  को  फाड़कर  दो  टुकड़े  कर  दिए  l  ऊंट  मर  गया   और  सियार  को  बहुत  दिनों  का  भोजन  मिल  गया  l  आलसी  और  अकर्मण्य  व्यक्ति  बिना  परिश्रम  किए  बड़ी  सम्पदाएँ  चाहते  हैं  l  यदि  किसी  प्रकार  वे  उन्हें  मिल  भी  जाएँ   तो  अंत  में  वे  दुःख दायक  ही  होती  हैं  l