25 October 2018

WISDOM ---- नियत से नियति का निर्माण होता है

 ' नियति  व्यक्ति  के  कर्मों  का  परिणाम  होती  है   l  नियत  के  अनुसार  नियति  होती  है   l  व्यक्ति  का  उद्देश्य  क्या  है  ?  वह  जैसा  सोचता  है , करता  है   ,  वैसी  ही  उसकी   नियति  होती  है  l
  महाभारत  के  उदाहरण  से  इसे  समझा  जा  सकता  है  -----  धृतराष्ट्र   के  पुत्र  ' कौरव '   सदा  ही  षड्यंत्रकारी , फरेबी ,  झूठे   एवं  अहंकारी  थे  l  उनके  जीवन  का  उद्देश्य  अपने  को  स्थापित  करना   और  दूसरों  को  परेशान  करना  था   l  वे  घोर  अधर्मी  थे   l  पाप पूर्ण  आचरण  ही  उनकी  नीति  थी  l
     इसके  विपरीत  पांडु पुत्र   ' पांच  पांडव '  सदाचारी , , सत्य , न्यायप्रिय , त्यागी   एवं  परोपकारी  थे  l  औरों  की  रक्षा  के  लिए  वे  अपने  प्राणों  की  बाजी  लगा  देते  थे  l  धर्म  पर  उनकी  अगाध  आस्था  थी , उनकी  नीति  धर्म  पर  आधारित  थी   l  इसी  नीति  और  आचरण  के  कारण  उनकी  नियति  का  निर्माण  हुआ  l 
   महाभारत  के  युद्ध  में  पांडवों  के  साथ  भगवान  कृष्ण  स्वयं  थे   और  कौरवों के  साथ  महा  पराक्रमी  भीष्म ,  द्रोंण, कर्ण   आदि  महारथी  थे  l   परन्तु  इतने  सारे  महारथी  भी  दुर्योधन  को  विनाश  की  नियति  से  उबार  नहीं  सके  l  जबकि  पांडवों  की  नियति  धर्म  के  साथ  खड़े  होकर  विजय  प्राप्ति  की  थी   l   नियति  के  अनुसार  कौरव  मिट  गए  और  पांडवों  को  विजय पताका  फहराने  का  सुअवसर  प्राप्त  हुआ  l
     सतत  सत्कर्म ,   सदाचरण   एवं  सदभाव  के  द्वारा  हमारी  नियति   श्रेष्ठता  से  परिपूर्ण  हो  जाती  है    और  इसके  विपरीत    आचरण ,  व्यवहार  से   नियति   अत्यंत  कष्ट साध्य  बन  जाती  है  l