2 March 2022

WISDOM -----

    हमारे  महाकाव्य    संसार  के  लिए  मार्गदर्शक  हैं  ,  उनसे  शिक्षा  लेने  की  जरुरत   है  l  कहते  हैं  जो  महाभारत  में  है  ,  वही  इस  धरती  पर  है   l   अत्याचार  और  अन्याय  के  अंत  के  लिए  ही   महाभारत  हुआ   लेकिन  इसमें  भीष्म  पितामह  जैसे   धर्मपरायण ,  द्रोणाचार्य  और  महादानी  कर्ण   भी  पराजित  हुए  ,  उनका  अंत  हुआ   l   इसका  एक  ही  कारण  था  कि   उन्होंने   दुर्योधन  द्वारा  किए   जाने  वाले  अत्याचार  और  अन्याय  का  मौन  रहकर  समर्थन  किया   l   दुर्योधन  के  साथ  उनका  स्वार्थ  जुड़ा  था  ,  उसके  राज्य  में  रहकर  उन्हें  राज- वैभव  के  सारे  सुख  प्राप्त  थे  l   यह  तथ्य  आज  भी  सर्वत्र  देखने  को  मिलता  है  l    अत्याचारी  और  अन्यायी  सब  जगह  हैं , वे  फल - फूल  रहे  हैं   और  डंके  की  चोट  पर  अन्याय    उन  पर  करते  हैं  जो  उनके  अहंकार  और  स्वार्थ पूर्ति  में  बाधक  है   l   शेष  सब   भीष्म ,  द्रोण   और  कर्ण   की  तरह   मूक  दर्शक   बने  रहते  हैं     क्योंकि  उनका  उससे  कोई  न  कोई    स्वार्थ  जुड़ा  है   l   ईश्वर  के  न्याय  से  कोई  नहीं  बच  सकता  l   दुर्योधन   से  पहले  ही   उनका  अंत  हो  गया  l   अत्याचारी  केवल  खुद  नहीं  डूबता ,  वो  अपना  समर्थन  करने  वाले ,  साथ  देने  वाले  सबको  ले  डूबता  है  l    जब  अर्जुन   युद्ध  के  मैदान   में अपने  ही  परिवार  के  प्रियजनों  को  देखकर   शस्त्र     नीचे   रख  देता  है   तब  भगवान  कृष्ण  उसे  गीता  का  उपदेश  देते  ,हैं   कहते  हैं  ----- यदि  अत्याचार  और  अन्याय  को  हम  नहीं  मिटायेंगे  तो  वे  हमें  मिटा  डालेंगे  l ' अहंकारी  और  उन्मादी  किसी  का  सगा   नहीं  होता  l