10 January 2023

WISDOM ------

    प्राचीन  कालकाल  की  बात  है  ---एक  गुरुकुल  के  प्रधान  आचार्य  अपने  शिष्यों  के  बार -बार  अनुरोध  करने  पर  भी  उन्हें  ज्यादा  दिन  अपने  समीप  नहीं  रहने  देते  थे  l  शिष्यों  ने  इसका  कारण  पूछा   तो  वे  बोले ---जैसे  गंगा तट  पर  रहने  वाले  शुद्धता  के  लिए  गंगा  छोड़कर  दूसरे  तीर्थों  को  जाते  हैं  , वैसे  ही  ज्यादा  समीपता  बढ़ने  से  अनादर  का  भाव  जन्म  लेता  है  l  आचार्य  की  व्याख्या  शिष्यों  की  समझ  में  आ  गई  l        एक  कथा  है  -- गुरु  और  शिष्यों  के  संबंध  में  मर्यादा  जरुरी  है  --- एक  गुरु  के  अनेक  शिष्य  थे  , लेकिन  उनमे  से  चार -पांच  छात्रों  पर  वे  अपना  विशेष  स्नेह  लुटाते  थे  l  ज्ञान दान  के  बाद   अतिरिक्त  समय   में  मित्रवत  व्यवहार  था  l  उन  छात्रों  की  चंचलता ,  हँसी -मजाक  आदि  व्यवहार  को  वे  सरलता  से  लेते  थे  l  छात्रों  पर  स्नेह  इस  कदर  था  कि  वे  उनकी  गलतियों   , उनकी  अपराधिक  प्रवृतियों  पर  भी  वे  उन्हें  टोकते -रोकते  नहीं  थे  l  प्राप्त  ज्ञान  और  प्रखर  बुद्धि  के  कारण   वे   शिष्य  उच्च  पदों  पर  भी  पहुंचे  लेकिन  उनकी  अपराधिक  प्रवृति  ने  अनेक  अपराधी  तैयार  कर  दिए , समाज  का  वातावरण  दूषित  हुआ  l  ऋषियों  का  वचन  है  कि  --बुद्धिजीवी , विवेकशील   व्यक्ति  पर  भगवान  ने  इस  बगिया  के  माली  का  भार  सौंपा  है  , इस जिम्मेदारी  को  ईमानदारी  से  न  निभाने  पर  प्रकृति  से  दंड  अवश्य  मिलता  है  -------