अहंकार की प्रवृति ज्ञान की प्रगति में बाधक होती है l कोई व्यक्ति जब अपने को सबसे अधिक विद्वान् समझने लगता है तो विद्वान् में नम्रता का और विनय का जो गुण है वह लुप्त हो जाता है और उसका ज्ञान एक सीमाबद्ध होकर रह जाता है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है ---- " व्यक्ति के सद्गुण यदि उसे उत्थान की ओर ले जाते हैं तो उसके अन्दर स्थान जमाये अवगुण भीतर ही भीतर उसकी जड़ खोखली करते रहते हैं l सद्गुण यदि अच्छाई का प्रसार करते हैं तो अवगुण वातावरण को विषैला करते हैं l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने लिखा है ---- " व्यक्ति के सद्गुण यदि उसे उत्थान की ओर ले जाते हैं तो उसके अन्दर स्थान जमाये अवगुण भीतर ही भीतर उसकी जड़ खोखली करते रहते हैं l सद्गुण यदि अच्छाई का प्रसार करते हैं तो अवगुण वातावरण को विषैला करते हैं l "