12 June 2019

WISDOM ----- वन्दे मातरम्

 बंकिम  बाबू  साहित्य - संसार  में  विशेष  रूप  से  ' उपन्यासकार '  की  हैसियत  से   प्रसिद्ध   हुए  l  जिस  उपन्यास  के  कारण  उनका  नाम  देशभक्तों  में  अमर हो  गया , वह  है -- ' आनंदमठ ' l  इस  उपन्यास  के  माध्यम  से  उन्होंने  नवयुवकों  के  सामने   विदेशी  राज्य शक्ति  के  विरुद्ध  खड़े  होने  का  एक  आदर्श  प्रस्तुत  किया  l  इस  उपन्यास  में  एक  मठ  के  संन्यासियों  ने  देश  की  रक्षा  के  लिए  शत्रुओं  से  लड़ाई  की   और  इन  साधुओं  का  मन्त्र  था --- ' वंदेमातरम् '  l  
  इसमें  जगह - जगह   वार्तालाप  के  द्वारा  समाज - सेवा  की  प्रेरणा  दी  गई  है  l  मठ  का  एक  संन्यासी -- भवानंद ,   महेंद्रसिंह  नाम  के  बड़े  जमीदार  को  देश  सेवा   के  लिए  प्रेरणा  देते  हुए  कहता  है ---  "  महेंद्रसिंह , मेरी  धारणा  थी  कि  तुम  में  कुछ  वास्तविक  मनुष्यत्व  होगा  , पर  अब  देखता  हूँ   सब  जैसे  हैं  वैसे  ही  तुम  भी  हो   l  देखो ,  सांप  जमीन  पर  छाती  के  बल  रेंगता  है  ,  पर  उस  पर  पैर पड़  जाने  से  वह  भी   फन  उठाकर काटने  को  दौड़ता  है  l  क्या  तुमको  किसी  तरह   धर्म  और  देश  की  दुर्दशा  दिखाई  नहीं  देती  ,  घर  में  लड़की - बहु  की    इज्जत  का  ठिकाना   नहीं  ,  धर्म  गया , जाति  गई ,  मान  गया  ,  अब  तो  प्राण  भी  जा  रहे  हैं  l  " 
  एक  समय  था  जब    अंग्रेज  अधिकारी  इस  पुस्तक  से  ऐसे  डरते  थे   जैसे  बम  के  गोले  से  l  उस  समय  आजादी  के  दीवाने  इस  पुस्तक  को  गुप्त  रूप  से  पढ़ते  थे  l   बंकिम  बाबू  ने  स्वयं  उसी  समय  यह  भविष्यवाणी  कर  दी  थी  कि  "  एक  दिन  ' वन्दे मातरम् '  की  ध्वनि  से  सारा  भारत  गूंज  उठेगा   l