24 January 2013

एक गुलाब का फूल कह रहा था कि ईश्वर ने हमारे साथ अन्याय किया कि इतनी पतली और कंटीली बेल पर लगाया ,हमारा स्वरुप किसी चन्दन जैसे बड़े वृक्ष की शोभा बढ़ाने योग्य था ।दुर्भाग्य का रोना रोने वाले इस पुष्प के समीप उगे दूसरे पुष्प ने कहा -मूर्ख ,सोचने का तरीका बदल ।पतली कंटीली बेल पर उगने के कारण तुझे छोटा सा फूल होना चाहिए था ,पर तू कितना सौभाग्यशाली है कि तुच्छ स्थिति में होने पर भी इतना बड़ा सौभाग्य पा सका ।
पुरुषार्थी की कठिनाइयाँ उसके लिए वरदान हैं ।विषमता एवं प्रतिकूलता में जीवन की सारी ऊर्जा एकत्रित होकर उससे निकलने के लिए तत्पर हो उठती है ।मन एवं बुद्धि इससे उबरने के लिए तकनीकें खोजते हैं ।प्रयास की इस प्रक्रिया में विषमता वरदान सिद्ध होती है ।यह अभिशाप उनके लिए है जो दुःख में रोते हैं और दुःख के कारणों को दूसरों पर आरोपित करते हैं ।कठिनाइयाँ एवं चुनौतियां हमें सुद्रढ़ ,मजबूत एवं फौलाद बनाने आती हैं ।यदि हमारा द्रष्टिकोण सकारात्मक {POSITIVE}है तो विपत्ति का प्रत्येक धक्का हमें साहसी ,बुद्धिमान अनुभवी और आत्मविश्वासी बनाता है ।
एक अमीर बीमार पड़ा ।बहुतों का इलाज कराने पर भी अच्छा न हो पाया ।तब उससे किसी ने लुकमान के पास जाने को कहा ।वह वहां पहुंचा ।लुकमान ने नाड़ी परीक्षा की ,लक्षण पूछे और जेब से निकाल कर कुछ गोलियाँ दी और कहा ,"इन्हें अपने माथे के पसीने में गलाकर कुछ दिन खाना ,अच्छे हो जायेंगे ।रोग कुछ ही दिनों में अच्छा हो गया ।बदले में उन्हें बड़ा पुरस्कार और सम्मान मिला ।शिष्यों ने कहा -जो दवा आपने दी थी उसका रहस्य हमें भी बता दें ।लुकमान ने कहा -दवा तो उपलों की राख भर थी ।पर उसे माथे का पसीना निकालने में नित्य जो मेहनत करनी पड़ी चमत्कार उसका था ।परिश्रमी लोग या तो बीमार पड़ते ही नहीं या फिर जल्दी अच्छे हो जाते हैं ।