21 May 2018

WISDOM ------ अन्याय चाहे घर में हो या बाहर उसका विरोध करने से डरना नहीं चाहिए और कुछ न कर सके तो भी बुराई के साथ सहयोग तो करना ही नहीं चाहिए ------- हेनरी थोरो

   थोरो  ने  कहा  था ---- " लोकतंत्र  पर  मेरी  आस्था  है  ,  पर  वोटों  से  चुने  गए  व्यक्ति   स्वेच्छाचार  करें   मैं  यह  कभी  बर्दाश्त  नहीं  कर  सकता   l  राज  संचालन  उन  व्यक्तियों  के  हाथ  में  होना  चाहिए   जिनमे  मनुष्य  मात्र  के  कल्याण  की  भावना  और  कर्तव्य - परायणता  विद्दमान  हो  और  जो  उसकी  पूर्ति  के  लिए  त्याग  भी  कर  सकते  हों  l 
  किसी  ने  कहा  ---- " यदि  ऐसा  न  हुआ  तो  ? "
  थोरो  का  कहना  था ---- "  तो  उस  राजसत्ता  के  साथ   हम  कभी  भी  सहयोग  नहीं  करेंगे   चाहे  उसमे  हमें  कितना  ही  कष्ट  क्यों  न  उठाना  पड़े   l "  इसके  लिए  उन्होंने  जो  कदम  उठाया   वह  विध्वंसात्मक  नहीं    लोकतान्त्रिक  था   l   ' सविनय  असहयोग  के  तत्वदर्शन   की  शक्ति  को   सबने  जाना  l  महात्मा  गाँधी  ने  यह  मन्त्र  उन्ही  से  पाया   जिसके  सामने  ब्रिटिश  सामंतशाही   को  झुकना  पड़ा  l