27 November 2021

WISDOM ----

   श्रीमद भगवद्गीता  में  भगवान  कहते  हैं  --- अहंकार   एक प्रकार  का  रोग  है  , जो  व्यक्ति  को  दुराचार  की  और   प्रवृत   करता  है   l  अभिमानवश , लालचवश  व्यक्ति  से  दुराचरण  हो  जाता  है  l   इसका   अर्थ  यह  नहीं  कि   उसके  लिए  भगवान  के  द्वार  बंद  हो  गए  हैं   l  भगवान  कहते  हैं  --जिनसे  गलतियां  हो  गई  हैं , होती  रहती  हैं  ,  उनके   लिए भी  मार्ग  है  --- अनन्यता  का  मार्ग   l   अनन्यता  का  अर्थ  है  --भक्ति , ईश्वर  के  प्रति  समर्पण ,   मन  में  भगवान  बसें    l   भक्ति  पापी  को  भी  तार  देती  है  l  भगवान  मात्र  सत्पुरुषों  का  ही  नहीं  ,  बुरों  का  भी  भला  करने  के  लिए  आते  हैं   l   जो  दुराचरण  हो  चुका ,  उसके  लिए माफ़ी  नहीं   है  l  यदि  डकैती  की  है  तो  सजा  तो  मिलेगी  ही   l   लेकिन  भगवान  कहते  हैं  --भक्त  कभी  विचलित  नहीं  होता  ,  कष्ट  में  घिरकर  भी  कभी   परेशान    नहीं  होता  ,  अपना  मानसिक  संतुलन  बनाये  रखता  है   l   उसे  शाश्वत  शांति  प्राप्त  होती  है   l   कष्ट  भी  उसके  लिए  वरदान  बनकर  आते  हैं  l '