इतरा शूद्र कुल में उत्पन्न हुई थी , पर उसे महर्षि शाल्विन की धर्मपत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | उसके एक पुत्र भी था l एक बार राजा ने बड़ा यज्ञ आयोजन किया , उसमे सभी ब्राह्मणों और ब्रह्म कुमारों का सत्कार हुआ किन्तु इतरा के पुत्र को शूद्र कहकर सम्मान से वंचित कर दिया गया l शाल्विन , इतरा दोनों ही बहुत दुखी हुए , बच्चा भी उदास था l इस दुःख में एक नया प्रकाश मिला | तीनों ने मिलकर यह निश्चय किया कि वे जन्म से बढ़कर कर्म की महत्ता सिद्ध करेंगे l शिक्षण का नया दौर प्रारम्भ हुआ l इतरा के पुत्र ऐतरेय को धर्म शास्त्रों की शिक्षा दी गई देखते - देखते वह अपनी अदभुत प्रतिभा का परिचय देने लगा l
एक बार वेद ऋचाओं के अर्थ की प्रतिस्पर्धा हुई l दूर देश के राजा और विद्वान एकत्रित हुए और सभी की पांडुलिपियाँ जांची गई | सर्वश्रेष्ठ ऐतरेय घोषित किये गए l
' ऐतरेयब्राह्मण ' वेद ऋचाओं को प्रकट करने वाला अदभुत ग्रन्थ है , इसका स्रजेता जन्म से शूद्र होते हुए भी कर्म से ब्राह्मण बना l
एक बार वेद ऋचाओं के अर्थ की प्रतिस्पर्धा हुई l दूर देश के राजा और विद्वान एकत्रित हुए और सभी की पांडुलिपियाँ जांची गई | सर्वश्रेष्ठ ऐतरेय घोषित किये गए l
' ऐतरेयब्राह्मण ' वेद ऋचाओं को प्रकट करने वाला अदभुत ग्रन्थ है , इसका स्रजेता जन्म से शूद्र होते हुए भी कर्म से ब्राह्मण बना l