13 December 2021

WISDOM -------

  धन - वैभव , सम्पन्नता ,  सुख - सुविधाओं  की  प्रचुरता   के  आधार  पर  किसी  समाज  को  सभ्य  समाज  नहीं   कहा  जा  सकता  l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है ---- " अनैतिक  दृष्टि  अपनाये  हुए   व्यक्तियों  का  समाज   असभ्य  ही  कहला  सकता  है  l   आज   संसार  में   अपराधों , क्लेशों , संघर्ष , अभाव ,  चिंता , तनाव   और  समस्याओं  का  घटाटोप   दिखाई  पड़ता  है   उसका  एकमात्र  कारण   व्यक्तियों  के  मन  में   समाई  हुई   स्वार्थपरता ,  चरित्रहीनता   एवं  संकुचित  दृष्टि  है  l   आदर्शवाद  का ,  धर्म - नीति  एवं   मर्यादाओं  का  उल्लंघन    जब  कभी  भी   अधिक  मात्रा  में  होने  लगता  है   तब  उसका  परिणाम  सारे  समाज  को  भुगतना  पड़ता  है   l "  आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- ' उच्च  भावनाओं  के  आधार  पर  मनुष्य  देवता  बन  जाता  है   ,  लेकिन  तुच्छ  विचार  के  कारण   वह  पशु  दिखाई  पड़ता  है    और    निकृष्ट  पाप  बुद्धि   को  अपनाकर  वह  असुर  एवं  पिशाच   बन  जाता  है   l   कुमार्ग  पर  चलने  वाले  व्यक्ति   सारे  समाज   को ही  दुःख  देते  हैं   l   भौतिक  और  आत्मिक  कल्याण  के  लिए   उत्कृष्ट  भावनाओं  की  अभिवृद्धि  आवश्यक  है   l