9 January 2013

REGULARITY

नियमितता ही जीवन है ।सूर्य एक नियमितता लिये हुए उदय एवम अस्त होता है ।पृथ्वी ,चन्द्रमा ,ग्रह ,तारे सभी निश्चित गति से सुसंचालित हैं ।कीड़े मकोड़े और पक्षियों में यह विशेषता पाई जाती है वे अपने भीतर की किसी अज्ञात घड़ी के मार्गदर्शन से अपनी गतिविधियाँ व्यवस्थित रखते हैं ।मुर्गा समय पर बांग देता है ,चमगादड़ रात को ही उड़ता है ।चींटियों की प्रणय केलि नियत निर्धारित मुहूर्त पर होती है ।वर्ष में एक दिन एक ही समय उनका नियत रहता है ।यदि हम इन छोटे प्राणियों से समय पालन की नियमितता सीख सकें तो जीवन को व्यवस्थित रखकर वांछित दिशा में प्रगति कर सकते हैं ।
तितली और मधुमक्खी दोनों एक फूल पर आकर बैठती ।दोनो झगड़ने लगीं कि फूल पर मेरा अधिकार है ।फैसला फूल ने सुनाया ।उसने मधुमक्खी के पक्ष में निर्णय दिया और कहा ,"यह बैठने का श्रम सार्थक करती है और दूसरों के लिये शहद निकालती है इसलिये इसी का अधिकार है ।

BEAUTY

आत्मा की प्रसन्नता में अक्षय सौन्दर्य निहित है ।भव्य विचारों से सुन्दर बनिये ।हम सबका मुख -मंडल आंतरिक सद्गुणों से आकर्षक बनता है ।यदि हमारे मन में प्रेम ,दया ,सज्जनता ,ईमानदारी आदि सद्गुण हैं तो इन्ही भावों की गुप्त तरंगे हमारे शरीर में सर्वत्र दौड़ जायेंगी ।आत्मा प्रसन्न हो जायेगी और मुख मुद्रा मोहक बन जायेगी ।अच्छे और बुरे विचारों की धारा मानसिक केन्द्र से चारों ओर बिखरकर खून के प्रवाह के साथ चमड़ी की सतह तक एक विद्दुत -धारा के समान आती है और वहां अपना प्रभाव छोड़ जाती है ।यदि कोई व्यक्ति श्रेष्ठ दैवी गुणों का निरंतर मानसिक अभ्यास कर सके ,तो वह कितना ही कुरूप हो ,मोहक -मादक आकर्षण -शक्ति से परिपूर्ण हो सकता है ।