' जागते वही हैं , जो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं , वे सीखने से कभी चूकते नहीं | दिन हो कि
रात , सुबह हो कि साँझ , अपना हो या पराया , शत्रु हो या मित्र , कोई नफरत करे या प्रेम , कोई गाली दे या सम्मान , वे सीखते ही रहते हैं | जो हर चीज को अपने शिक्षण में बदल देने की कला जानते हैं , ऐसे ही व्यक्ति अँधेरे के पार जाते हैं , उन्ही को दिव्यता के आलोक का आनंद मिलता है , उनका जीवन ज्योतिर्मय होता है |
जाग्रत मस्तिष्क की क्षमताएँ वेगवती धारा से भी अधिक प्रचंड होती हैं | हम अपने मस्तिष्क के बिखराव को रोककर उसे जड़ता से निकाल कर सक्रिय कर दें तो वह अपनी विलक्षण विशेषताओं के साथ जीवंत और जाग्रत हो सकता है |
ध्यान द्वारा गुरु एक नई आँख -- विवेक देता है | दो आँखों से हम परिस्थितियों को , बहिरंग वातावरण को तो देख पाते हैं , लेकिन भावनाओं , विचारों , संवेदनशीलता का अहसास नहीं कर पाते
यह ह्रदय की आँख से संभव है | यह आँख ध्यान से खुलती है |
रात , सुबह हो कि साँझ , अपना हो या पराया , शत्रु हो या मित्र , कोई नफरत करे या प्रेम , कोई गाली दे या सम्मान , वे सीखते ही रहते हैं | जो हर चीज को अपने शिक्षण में बदल देने की कला जानते हैं , ऐसे ही व्यक्ति अँधेरे के पार जाते हैं , उन्ही को दिव्यता के आलोक का आनंद मिलता है , उनका जीवन ज्योतिर्मय होता है |
जाग्रत मस्तिष्क की क्षमताएँ वेगवती धारा से भी अधिक प्रचंड होती हैं | हम अपने मस्तिष्क के बिखराव को रोककर उसे जड़ता से निकाल कर सक्रिय कर दें तो वह अपनी विलक्षण विशेषताओं के साथ जीवंत और जाग्रत हो सकता है |
ध्यान द्वारा गुरु एक नई आँख -- विवेक देता है | दो आँखों से हम परिस्थितियों को , बहिरंग वातावरण को तो देख पाते हैं , लेकिन भावनाओं , विचारों , संवेदनशीलता का अहसास नहीं कर पाते
यह ह्रदय की आँख से संभव है | यह आँख ध्यान से खुलती है |