31 March 2022

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----' मनुष्य  के  असंतोष  का  कारण  ईर्ष्या  है   l   यह  मानवीय  स्वभाव   की  विकृति  है  ,  ईर्ष्यालु  व्यक्ति  को  दूसरे  की  तरक्की  रास  नहीं  आती  l  "  महाभारत  '  ईर्ष्या  का  ही  दुष्परिणाम  था   l   दुर्योधन  के  मन  में  बचपन  से  ही  पांडवों  के  प्रति  ईर्ष्या  का  बीज  था  ,  वह  पांडवों  की  योग्यता ,  उनकी  ख़ुशी  से  जलता  था   l   उसे  तो  हस्तिनापुर  का  बना - बनाया  राज्य  मिला  ,  पांडवों  को  खांडव वन  का  क्षेत्र  मिला  ,  जिसे  उन्होंने  अपनी  मेहनत  से   इंद्रप्रस्थ  बनाया  l   वहां  का   वैभव    देखकर  दुर्योधन  जल भुन    गया  और  शकुनि   के साथ  मिलकर  छल - कपट , षड्यंत्र  से  पांडवों  को  वन  में  भेज  दिया     उनके  हिस्से  पर  कब्ज़ा  कर  लिया   और  उन्हें  सुई  की  नोक  बराबर  भूमि  देने  से  मना  कर  दिया    l   ईर्ष्या -  द्वेष जैसी  मानसिक  विकृतियों  से  ग्रस्त  व्यक्ति  हर  युग  में  रहे  हैं    l    इन्हे  सुधारा  नहीं  जा  सकता    क्योंकि  इन्हे  जो  मिला  है  उसकी  उन्हें  कद्र   नहीं  होती    और  दूसरे  को  थोड़ी  सी  ख़ुशी  भी  मिल  जाये  वो  उनसे  सहन  नहीं  होती   l   लगभग  हर  व्यक्ति  का  अपने  जीवन  काल   में  ऐसे  ईर्ष्यालु  लोगों  से  पाला  पड़ता  है  ,  ऐसे  लोगों  द्वारा  समय - समय  पर  किए   जाने  वाले  आघातों  के  बीच  कैसे   तनाव  रहित  रहा  जाये   इसके   लिए   ' जीवन  जीने  की  कला '    का  ज्ञान  जरुरी  है   l