लघु कथा ---1 . ' निर्भयता के साथ एकजुटता की आवश्यकता होती है l '----- एक लकड़हारा जंगल में लकड़ी काटने गया l उसने देखा कि दलदल में एक खरगोश का बच्चा फंस गया है l लकड़हारे ने उस असहाय खरगोश को दलदल से निकाला और अपने घर ले आया l यह खरगोश बहुत दुबला -पतला था l उस लकड़हारे के घर पहले से ही कई खरगोश थे l उन्होंने उस नए खरगोश से पूछा ---' जंगल में तो सब सुख -साधन थे , फिर तुम इतने पतले -दुबले क्यों हो ? " उस खरगोश ने कहा ---- " जंगल में सिंह आदि शक्तिशाली जानवरों का बहुत भय था l सब सुख -साधनों के बावजूद इस भय ने मुझे पनपने ही नहीं दिया l " एक खरगोश ने पूछा --- " यदि तुम सिंह का मुकाबला करते तो क्या जीत जाते ? ' यह नया खरगोश बहुत समझदार था , बोला --- " अकेला व्यक्ति कितना भी वीर हो सदैव विजयी नहीं हो सकता l यदि हम सब संगठित होते और एकजुटता के साथ चतुराई से काम लेते तो संभवतया जीत भी जाते l "
2 . महाभारत समाप्त हुआ l पुत्र वियोग से दुखी धृतराष्ट्र ने महात्मा विदुर को बुलाया , उनसे पूछा ---- " विदुर जी ! हमारे पक्ष में एक -एक योद्धा इतना सक्षम था कि उसने सेनापति बनने पर अपने पराक्रम से पांडवों के छक्के छुड़ा दिए l यह जीवन -मरण का युद्ध है , यह सब जानते थे , तो सेनापति बनने पर ही अपना पराक्रम दिखाने की जगह कर्तव्य बुद्धि से एक साथ पराक्रम दिखाते , तो क्या युद्ध जीत न जाते l " विदुर जी ने कहा --- " राजन ! आप ठीक सोचते हैं , परन्तु अकेले अधिक यश बटोरने की लिप्सा तथा अपने को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की अहंता ने कर्तव्य को सोचने और निभाने का अवसर ही नहीं दिया l यदि कर्तव्य ही सोचा होता , तो वे अपने भाइयों को उनका हक देकर युद्ध को टाल भी सकते थे l अत: हे राजन ! आप कौरवों की हार उनकी मृत्यु का दुःख न करें l "