जोरों की आँधी आई l आँधी के साथ धूल उड़कर आसमान तक जा पहुंची l इस उपलब्धि पर इतराते हुए धूल बोली ---- " भला मेरे समान कोई इस दुनिया में ऊँचा है l जल , थल , नभ के साथ दसों दिशाओं में मैं ही तो व्याप्त हूँ l " बदल ने धूल की गर्वोक्ति सुनी तो फट पड़ा और बदल फटते ही हुई वर्षा के साथ धूल धरती पर जा गिरी l अब धरती ने उससे पूछा ---- " रेणुके ! तुमने अपनी यात्रा से क्या सीखा ? " धूल बोली ---- " माँ ! मैंने सीखा कि उन्नति पा कर कभी किसी को अहंकार नहीं करना चाहिए l अहंकारी का पतन निश्चित ही होता है l "