15 April 2018

WISDOM ---- जागरूक हों ----- प्रकृति हमें कुछ सन्देश देना चाहती है !

 संसार  में  विभिन्न  घटनाएँ  घटती  रहती  हैं  '  लेकिन  कुछ   दिल  दहला देने  वाली  घटनाएँ  ऐसी  होती  हैं   जिन पर  प्रकृति   माँ  भी  रोती  हैं  l  इस  धरती  पर  विभिन्न  जाति,  धर्म  अलग - अलग  हैं  l  हर  धर्म  में  श्रेष्ठ  और  महान  आत्माएं  इस  धरती  पर  अवतरित  हुईं  l   निर्दोष  और  मासूम   की  चीत्कारों  से  आज  वे   आत्माएं  भी  तड़प  रही  हैं   l   यह   अत्याचार  और  अनाचार  चाहे  बाह्य  युद्धों  से  हो   या  मनुष्य  के  भीतर  चलने  वाले  आंतरिक  युद्धों  से  हो  l   बाह्य  युद्ध  को  तो  एक  बार  आपसी  सुलह  और   सहअस्तित्व  के  भाव  से  रोका  भी  जा  सकता  है   लेकिन  मनुष्य  के  भीतर  जो  ईर्ष्या - द्वेष ,  बदला ,  लोभ - लालच , कामना - वासना    की  आग  धधक  रही  है  उसे  कैसे  रोका  जाये  ?
   प्रकृति  हमें  अपने  ढंग  से  समझा  रही  है --- लाइलाज  बीमारियाँ  ,  कभी  न  मिटने  वाला  तनाव ,  पर्यावरण    प्रदूषण,  सब  कुछ  होते  हुए  भी  जीवन  में  खोखलापन ,  प्राकृतिक  आपदाएं ---  यह  सब  मनुष्य  की  कायरता ,  निर्दोष  और  मासूमों  की  चीत्कारों  का  ही  परिणाम  है  l
  अहंकार  में   डूबा  मनुष्य  अब  भी   नहीं  सुधर  रहा  ,   अपने  स्वार्थ  के  लिए  आज  मनुष्य  कितना  नीचे  गिर  सकता  है ,  इसकी  कल्पना  भी  नहीं  की  जा  सकती   l  अपने  पाप  और  अपराध  को  छुपाने  के  लिए   धर्म  को  भी  कवच  बना  लिया  है  l
  निर्दोष  और  मासूम  आत्माएं  उस  अनन्त  आकाश  से  हमें  सन्देश  दे  रहीं  हैं  -- कब  तक  सोते  रहोगे ,  अब  तो  जागो ,  केवल  दुःख  व्यक्त  करने  से  कुछ  नहीं  होगा ,  जागो  !  कोई  और  मासूम ,  माँ  की  गोद  से   बिछड़े    लाल   की   चीत्कारें     तुम्हारी   श्रद्धा  और  विश्वास    में   अनसुनी  न  रह  जाएँ  l    पत्थरों  का  कोई  धर्म  नहीं  होता   l  पवित्रता  ह्रदय  में  होती  है ,  पत्थरों  में  नहीं   l