4 January 2018

WISDOM ---- अनीति के साथ समझौता कर के सफल होने की अपेक्षा नीति के लिए संघर्ष करते हुए असफल होना अच्छा है

      यह  घटना  उन  दिनों  की  है  जब  पश्चिमी  बंगाल  के   आदर्श  मुख्यमंत्री  श्री  विधानचंद्र  राय  युवक  थे ,  कॉलेज  में  पढ़ते  थे  ----  एक  दिन  कॉलेज  से  निकल कर  सड़क  पर  आये  ही  थे  कि  उनकी  आँखों  के  सामने  कार  से  एक  युवक  बुरी  तरह  कुचल  गया ,  उसकी  मृत्यु  हो  गई   लेकिन  कार  वाले  ने  संवेदना  के  दो  शब्द  भी  नहीं  बोले , उसके  चेहरे  पर  प्रायश्चित  की  एक  ;लकीर  भी  नहीं  थी  l  श्री  राय  ने  कार  वाले  को  पहचान  लिया  वह  उन्ही  के  कॉलेज  के  प्रोफेसर  थे  l  अगले  दिन  प्राध्यापक  महोदय  ने  उन्हें  अपने  कमरे  में  बुलाया  और  कहा --- " राय ! कल  तुम  घटना  के  समय  में  थे  l " 
उत्तर  दिया --- " मैं  ही  क्या पूरी  भीड़  थी  सर  !
 "  बात  तुम्हारी  हो  रही  है ,  औरों  को  समझा  लिया  गया  है  l "
  ' किस  बारे  में  सर  ! '
  सर  ने  कहा --- " यही  की  उलटी - पुलटी  बयानबाजी  न  करें  l "
राय  ने  पूछा ---- " क्या  यह  चेतावनी  है , सर ?  "
" यही  समझो ,  मान  लोगे  तो  पुरस्कार  मिलेगा ,  सर्वप्रथम   पास  हो  जाओगे   '
   "  और  न  मानूँ  तो  "
प्रोफेसर  ने  फुफकारते  हुए  कहा --- "  परिणाम  भुगतने  को  तैयार  रहना  l "
  अदालत  में  प्रत्यक्षदर्शी  गवाह  के  रूप  में  राय  ने  पूरी  घटना  की  जानकारी  दी  और  स्पष्ट  किया  कि   प्राध्यापक  की  असावधानी  से दुर्घटना  हुई  l   अन्य  कई  छात्रों  ने     प्रोफेसर  के  पक्ष  में  झूठी  गवाही  दी      इस  मामले  में  प्रोफेसर  ने  दंड स्वरुप  जुर्माना  भरा  ,  लेकिन  उनके  मन  में  राय  के  प्रति  प्रतिशोध  की  भावना  भर  गई   l  श्री  राय  मेधावी  छात्र  थे  ,  विश्वविद्यालय  परीक्षा  में  उनके  सभी  पेपर  बहुत  अच्छे  गए  किन्तु  प्रोफेसर  ने  अपने  प्रभाव  का  इस्तेमाल  कर  के  साथियों  से  कह  कर  उन्हें  अनुतीर्ण  करा  दिया   और  अपने  विषय  में  इतने  कम  अंक  दिए  कि  पूरक  परीक्षा  में  भी  न  बैठ  सके  l   राय  समझ  चुके  थे  कि  यह  उन्ही  प्रोफेसर  की  कृपा  है  जिन्होंने  उन्हें  धमकी  दी  थी   l  विजय  के  दर्प  के  भाव  से  प्राध्यापक  महोदय  ने   राय  को  बुलाकर   पूछा  --- " तुमने  जानबूझकर  यह  मुसीबत  क्यों  मोल  ली  ? '
     विद्दार्थी   विधानचंद्र  राय  का  उत्तर  था ---- " सर ! अनीति   के  साथ  समझौता  कर  के  सफल  होने  की  अपेक्षा   नीति  के  लिए  संघर्ष  करते  हुए   हजार  बार  असफल  होना  मैं  पसंद  करूँगा  l  "   यह  सुनकर  प्रोफ़ेसर  आँखे  झुकाए  सन्न  रह  गए  l  यही  युवक  आगे  चलकर  पश्चिमी  बंगाल  के  मुख्यमंत्री  बने   l