5 March 2018

WISDOM ---- मानसिक दासता से आजादी ही सही अर्थों में स्वतंत्रता है l

   राष्ट्रपिता  महात्मा  गाँधी  ने  कहा  था ----- " भारत  की  दासता  राजकीय  नहीं  है   और  न  कभी  थी  l  वह  तो  अपनी  मानसिक  दासता  में   सदियों  से  अपने  को  स्वयं  को  बांधता  चला  आ  रहा  है  l  कुप्रथाओं  में  वह  बुरी  तरह  फँसा  हुआ  है  l  "   इसके  उन्होंने  दो  कारण  बताये ---- पहला  है  छुआछूत  और  दूसरा  है  नारी  अवहेलना  l    ये  दो  इतने  भारी  पातक  हैं  ,  जो  भारतीय  सामाजिक  जीवन  को  खोखला  करते   जा  रहे  हैं  l   इन्हें  हटाये - मिटाए  बिना   स्वाधीनता  विशेष  अर्थ  नहीं  रखती  l 
इस  वैज्ञानिक  युग  में  , इतने  विकास  के  बावजूद  भी   ये  दोनों  समस्याएं   हमारे  समाज  को  खोखला  कर  रही  हैं  l  मनुष्य  अपने  अहंकार  की  पूर्ति  के  लिए   दलितों  पर  और  नारी  पर  अत्याचार  करता  है  l  यह  विषबेल  लोगों  के   संस्कारों  में   समाई  है  l   ये  कुरीतियाँ  मनुष्य  के  स्वभाव  में   जिस  स्थान  पर  जड़  जमाये  बैठी  हैं  ,  वहां  से  इन्हें  हटाना - मिटाना  इतना  आसान  नहीं  है   l
  कुछ  लोगों  के  अहंकार  की  वजह  से  देश  की  जनसँख्या  का  एक  बहुत  बड़ा  भाग   पीड़ित  और  उत्पीड़ित  है   l   ऐसे  अत्याचार  और  अन्याय  को  मिटाना  ही   सच्चा  धर्म  है  l