4 January 2022

WISDOM -----

   एक  बार  की  बात   है  धारा  नगरी  में  आग  लग  गई  l   दो  सुकुमार  बच्चे   आग  की  लपट  में  घिर  गए  l   महाराज  भोज  चिल्लाये   जो  इन  बच्चों  को  बचाएगा  उसे   पुरस्कार  दिया  जायेगा   l   भीड़  में  से  कोई  आगे  नहीं  बढ़  रहा  था  l   तभी  एक  ओर   से  एक  व्यक्ति  आया   और  आग  में  घुस  गया  l   दोनों  बच्चों  को  निकाल   तो  लाया  ,  पर  स्वयं  बुरी  तरह  जल  गया  l   उपचार  के  बाद  पहचान  में  आया  कि   वह  तो  महान  उदार , दयालु  कवि  माघ  थे  l   महाराजा  भोज  ने   शीश  झुकाते  हुए  कहा  --- " कविवर  !  आज  तो  तुमने  काव्य  से  भी  अधिक    अपनी  कर्तव्य  परायणता  से   हम  सबको   जीत  लिया  l "  कवि   बोले ---- " महाराज  !  आप  सबका  स्नेह - सम्मान  बहुमूल्य  है  ,  परन्तु   आज  मैंने  अपना  कर्तव्यपालन   कर  के  अपनी   अंतरात्मा   का  स्नेह - सम्मान  पा  लिया  l   इस  आत्मसंतोष  के   आगे  चमड़ी  की   जलन   कोई  महत्व   नहीं  रखती   l "