3 December 2021

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' नकारात्मकता  एक  ऐसी  खाई   की  तरह  है  ,  जो  सुन्दर  जीवन  को  नष्ट  कर  देती  है  ,  स्वस्थ  जीवन  को  रुग्ण  कर  देती  है  l   लेकिन  जो  व्यक्ति  अपनी   दिनचर्या  की  शुरुआत   सकारात्मक  विचारों  से  करते  हैं  ,  उनके  पास  रुग्ण   व  नकारात्मक  भाव   नहीं  ठहरते   l   सकारात्मक  विचारों  का  इतना  प्रभाव  है  कि   रुग्ण  व्यक्ति  भी   सकारात्मक  विचारों  के   संपर्क  में  आकर   दृढ़   इच्छा  शक्ति  से   स्वयं  को  स्वस्थ  कर  सकते  हैं   l '  ------- एक  बच्चे  की  एक  आँख  ख़राब  थी  ,  लेकिन  पढ़ने  में  रूचि  के  कारण  वह  एक  आँख  से  ही   पुस्तकें  पढ़ता   था   l   डॉक्टर  ने  यह  आशंका  जताई  कि   ऐसा  करने  से  वह  अपनी  दूसरी  आँख  भी  खो  देगा   l   परिवार  वालों  ने  जब  उसे  पढ़ाई  से  रोका   तो  उसका  जवाब  था  --- " मैं  पढ़ना - लिखना   तब  छोडूंगा   जब  कोई  न  कोई  प्रतिदिन   पुस्तक  पढ़कर   सुनाता  रहेगा  और  मुझे  बीमार  नहीं  समझेगा   l   परिवार  वाले  बच्चे  की  बात  से  सहमत  हो  गए   l   उसने  अपनी  दृढ़   इच्छा  शक्ति  से   न  केवल  अपनी  पढ़ाई  पूरी  की  ,  बल्कि  अनेक  पुस्तकें  भी  लिखीं   l   उसने  अपनी  पुस्तकों  में  सकारात्मक   ढंग  से  जीवन  जीने   पर  जोर  डाला   l   यही  बच्चा  आगे  चलकर   फ़्रांस  का   प्रसिद्ध   दार्शनिक  ज्यांपाल   सार्त्र   बना  ,  जिन्होंने   न  केवल  अपने   जीवन  के  नकारात्मक  पहलुओं  पर  विजय  पाई  ,  बल्कि  दूसरों  के  जीवन  को  भी  सकारात्मक  दिशा   देने  में  सफल  रहा  l       मनोवैज्ञानिकों  का  भी  यही  कहना  है  कि   यदि  कोई  व्यक्ति   दृढ़   इच्छा  शक्ति  से   नकारात्मक  पहलुओं  से  दूर   रहने  की  बात  ठान  ले   तो  न  केवल   वह  अपने  शरीर  की   छोटी - छोटी  बीमारियों   को  ठीक  कर  सकता  है  ,  बल्कि  गंभीर  बीमारियों  से  भी  उबर   सकता  है   l