12 April 2019

WISDOM ------- अन्य किसी के साथ वैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसा कि हम अपने लिए नहीं चाहते ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आचार्य जी ने  अखंड  ज्योति  में  लिखा  है  - '   यह  कोई  जरुरी  बात  नहीं  कि  सब  लोग  अपना  धर्म , जातीयता , भाषा , पहनावा   छोड़कर  एक  से  बन  जाएँ   पर  अपनी  संस्कृति , धर्म  की  रक्षा  करते  हुए   हमें  दूसरे  की   संस्कृति   और    धर्म  का  आदर  करना  चाहिए  l  कलह  या  संघर्ष  की  वृद्धि   तब  होती  है  जब  मनुष्य  दुराग्रह  या  पक्षपात  के  कारण   उचित  को  छोड़कर  अनुचित  का   समर्थन  करता  है   l  इसलिए  यदि  हम  संसार व्यापी   शांति , सुख , प्रगति  के  पक्षपाती   हैं    और  चाहते  हैं  कि  हम  तथा  संसार  के  अन्य  लोग   सुखी  जीवन  व्यतीत  करें  तो  उसके  लिए   आध्यात्मिक  मार्ग  पर  चलना  ही  हमारा  कर्तव्य  है   l  इसके  लिए  हमारा  प्रथम  कर्तव्य    यही  है  कि  अपने  सुख - दुःख  के  समान  दूसरों  के  सुख - दुःख  को  समझें  l