8 February 2018

WISDOM ------

        तानसेन  के  गुरु  हरिदास  महाराज  थे  l  उनकी  प्रसिद्धि  सुनकर  अकबर  ने  भी  उनसे  मिलने  की  और  उनका  संगीत  सुनने   की   इच्छा  प्रकट  की  l    तानसेन  मित्र  बनाकर   अकबर  को  ले  गए  l  गुरु  ने  कहा ---- " मैं  कन्हैया  के  सिवाय  किसी  के  लिए  नहीं  गाता  l  "  अकबर  ने  छिपकर  उनका  वंदना -भक्ति  गायन  सुना   और  फिर  समर्पित  भाव  से  उनके  चरणों  में  बैठ  गए   और  बोले  ---- " मैं    हिंदुस्तान  का  सम्राट  होने  के  नाते  ,  इस  वृन्दावन  के  लिए  और  यमुना  नदी  के  घाटों  के  लिए   क्या  कर  सकता  हूँ  ,  कृपया  आज्ञा  दें  l " 
  अकबर  के  सिर  पर   अपना    हाथ  रखकर   हरिदास  महाराज  ने  वह  दिव्य  धाम  दिखाया  ,  जहाँ  श्रीकृष्ण  की  नित्य  लीलाएं  होती  हैं   l   भावसमाधि  से  निकाल कर  कहा --- "  तुम  क्या  निर्माण  कराओगे  ?  क्या  इस  दिव्य  धाम  को  तुम  जैसा  लौकिक  व्यक्ति  ठीक  कराएगा  l   जाओ  ,  सत्ता  संभालो  l  "    अकबर  वापस  आ  गया  ,  उसने  जो  देखा  वह  अद्भुत  था   l