22 October 2023

WISDOM -----

   विधाता  ने  स्रष्टि  की  रचना  की  l पेड़ -पौधे , पशु -पक्षी , वनस्पति  की  रचना  की   l  मनुष्य  की  रचना  करते  समय  उन्होंने  उसे  बुद्धि  दी  l  विधाता  ने  उसे  यह  बुद्धि  इस  विश्वास  पर  दी  कि   वह  ईश्वर  की  बनाई  इस  स्रष्टि  को  और  अधिक  सुन्दर  बनाएगा   l  लेकिन  संसार  के  सुख -भोग  और  विविध  आकर्षणों  ने  मनुष्य  को  स्वार्थी  बना  दिया  l  बुद्धि  होने  के  कारण  मनुष्य  में  अपने  ज्ञान  का  अहंकार  तो  था  ही ,  अब  उस  अहंकार  ने  स्वार्थ  और  महत्वाकांक्षा  से  दोस्ती  कर  ली   इसका  परिणाम  हुआ  कि  मनुष्य  की  बुद्धि ,     दुर्बुद्धि  में  बदल  गई  l  अब  स्थिति  इतनी  विकट   हो  गई  कि  मनुष्य  ही  मनुष्य  से  भयभीत  है  l  अब  जंगली  जानवरों  का  भय  नहीं  है  l  जंगली  जानवरों  से  तो  फिर  भी  सुरक्षा  संभव  है   लेकिन   दुर्बुद्धिग्रस्त  इस  संसार  में  कब  किसका  मास्क  उतर  जाये  , उसका  असली  रूप  सामने  आ  जाये  , कोई  नहीं  जानता  l  कई  बातों  में  जानवर  मनुष्य  से  ज्यादा  समझदार  हैं  l   जानवर  इसलिए  श्रेष्ठ  हैं  क्योंकि  वे  छल -कपट  नहीं  जानते ,  किसी  को  धोखा  नहीं  देते  l  वे    सिर्फ  प्रेम  की  भाषा  जानते  हैं   और  नि;स्वार्थ  प्रेम  के  सामने  अपनी  हिंसक  वृत्ति  भी  छोड़  देते  हैं  l          एक  कथा  है ----- जंगल  में  एक  शिकारी  के  पीछे  बाघ  पड़  गया  l   घबराकर  शिकारी  एक  पेड़  पर  चढ़  गया  l  उसी  वृक्ष  पर  एक  रीछ  भी  बैठा  था    बाघ  को  पेड़  पर  चढ़ना  नहीं  आता  था  , वह  भूखा  था  इसलिए  पेड़  के  नीचे  बैठकर  वह    रीछ    या  मनुष्य  के  नीचे  उतरने  का  इंतजार  करने  लगा  l   बहुत  देर  हो  गई   तब  बाघ  ने  धीरे  से  रीछ  से  कहा ---- "  यह  मनुष्य  हम  दोनों  का  शत्रु  है  l  तू  इसे  धक्का  मार  l  मैं  इसे  खाकर  चला  जाऊँगा    और  तेरा  जीवन  बच  जायेगा  l "  रीछ  ने  कहा ---- " नहीं , यह  मेरा  धर्म  नहीं  है  l  इसने  मेरा  कुछ  नहीं  बिगाड़ा ,   और  वैसे  भी  मैं  ऐसे  गिरे  हुए  कार्य  नहीं  करता  l "  अब  बाघ  ने  शिकारी  से  कहा --- " वह  रीछ  को  धक्का  मार  दे   तो  उसकी  जान  बच  जाएगी  l  "   शिकारी  बहुत  खुश  हुआ  और  अपनी  दुष्प्रवृत्ति  के  कारण  चुपचाप   रीछ  के  पीछे  जाकर   उसे  पीछे  से  धक्का  दे  दिया  l  गिरते -गिरते  पेड़  की  एक  डाल  रीछ  की  पकड़  में  आ  गई  l  अब  बाघ  ने  रीछ  से  कहा ---:देखा ,  जिस  मनुष्य  की  तूने  रक्षा  की  , वही  तुझे  मारने  को  तैयार  हो  गया  l  अब  तू  बदला  ले  और  इसे  धक्का  मार  l  :  रीछ  ने  कहा  ---- " नहीं  !   मैं  ऐसे  कायरतापूर्ण  कार्य  नहीं  करता  l  वह  भले  ही  अपने  धर्म  से  विमुख   हो  गया   हो  ,  लेकिन  मैं   ऐसा  नीचता  का  कार्य  नहीं  करूँगा  l  "  मनुष्यों  में  भी  अनेक  परोपकारी   और  भावनाशील  हैं  जिनके  जीवन  के  कुछ  सिद्धांत  है  और  वे  उन  सिद्धांतों  के  विरुद्ध   कोई  कार्य  नहीं  करते   l