लघु -कथा ------ कुशल मूर्तिकार चित्रसेन को बंदी बनाने राज्य के सैनिक जब पहुंचे , तब तक उसने अपनी ही अनेक मूर्तियाँ बना डालीं और उनके बीच स्वयं मूर्तिवत बैठ गया l पहचानना कठिन था कि असली चित्रसेन कौन है l सैनिक असमंजस में पड़ गए l कुछ विचार कर एक चतुर सैनिक ने कहा ---- " यह कितनी सुन्दर मूर्तियाँ हैं l इन्हें बनाने वाला निश्चय ही उच्च कोटि का कलाकार है l " प्रशंसा सुनकर मूर्तिवत बैठे चित्रसेन के चेहरे पर चमक आ गई l सैनिक ने मुस्करा कर कहा ---- " लेकिन अभी कुछ कमी कमी है l " यह सुनकर आवेश में आकर चित्रसेन खड़ा हो गया l सैनिक ने तुरंत उसे बंदी बना लिया और बोला -- यही एक कमी रह गई थी कि अहंकार अभी विगलित नहीं हुआ l चित्रकार अपनी नासमझी पर पछताने लगा l
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