गेरुए वस्त्र धारण करना , जप , कीर्तन आदि बाहरी आडम्बर है , इनकी सार्थकता तभी है जब सेवा और सत्कार्यों द्वारा मानसिक परिष्कार किया जाये I
महाभारत के युद्ध के दिनों में रात्रि के समय युधिष्ठिर वेश बदलकर कहीं जाया करते थे l एक दिन शेष भाइयों को उत्सुकता हुई तो वे भी उनके पीछे चल दिए l उन्होंने देखा कि युधिष्ठिर युद्ध भूमि में घायल सैनिकों के बीच घूम - घूमकर देख रहे हैं कि कहीं कोई भूखा - प्यासा तो नहीं है l वे चाहे शत्रु पक्ष के थे या स्वयं के पक्ष के थे , उन्होंने सभी घायलों की समुचित सेवा की l उनके लौटने पर अर्जुन ने उनसे पूछा --- " आपको वेश बदलकर यहाँ आने की क्या आवश्यकता थी ? "
युधिष्ठिर बोले ---- " अर्जुन ! इनमें से अनेक कौरवों के पक्ष के हैं l यदि ये मुझे पहचान जाते तो अपनी व्यथा मुझसे नहीं कह पाते l "
भीम ने पूछा ---- " युद्ध के समय शत्रु की सहायता करना क्या उचित है ? "
युधिष्ठिर बोले ---- " भीम ! मनुष्य का शत्रु , मनुष्य नहीं , बल्कि उसके स्वकृत पाप होते हैं l "
नकुल - सहदेव ने पूछा ---- " आपने यह समय उपासना के लिए घोषित कर रखा था l क्या आपको झूठ बोलने का पाप नहीं लगेगा ? "
युधिष्ठिर बोले ---- " नहीं l भगवान की उपासना केवल जप , तप , ध्यान से ही नहीं होती , बल्कि कर्म से भी होती है l l " चारों भाई युधिष्ठिर की धर्म परायणता पर नत - मस्तक हो गए l
महाभारत के युद्ध के दिनों में रात्रि के समय युधिष्ठिर वेश बदलकर कहीं जाया करते थे l एक दिन शेष भाइयों को उत्सुकता हुई तो वे भी उनके पीछे चल दिए l उन्होंने देखा कि युधिष्ठिर युद्ध भूमि में घायल सैनिकों के बीच घूम - घूमकर देख रहे हैं कि कहीं कोई भूखा - प्यासा तो नहीं है l वे चाहे शत्रु पक्ष के थे या स्वयं के पक्ष के थे , उन्होंने सभी घायलों की समुचित सेवा की l उनके लौटने पर अर्जुन ने उनसे पूछा --- " आपको वेश बदलकर यहाँ आने की क्या आवश्यकता थी ? "
युधिष्ठिर बोले ---- " अर्जुन ! इनमें से अनेक कौरवों के पक्ष के हैं l यदि ये मुझे पहचान जाते तो अपनी व्यथा मुझसे नहीं कह पाते l "
भीम ने पूछा ---- " युद्ध के समय शत्रु की सहायता करना क्या उचित है ? "
युधिष्ठिर बोले ---- " भीम ! मनुष्य का शत्रु , मनुष्य नहीं , बल्कि उसके स्वकृत पाप होते हैं l "
नकुल - सहदेव ने पूछा ---- " आपने यह समय उपासना के लिए घोषित कर रखा था l क्या आपको झूठ बोलने का पाप नहीं लगेगा ? "
युधिष्ठिर बोले ---- " नहीं l भगवान की उपासना केवल जप , तप , ध्यान से ही नहीं होती , बल्कि कर्म से भी होती है l l " चारों भाई युधिष्ठिर की धर्म परायणता पर नत - मस्तक हो गए l