27 December 2017

WISDOM ----- अत्याचार और अन्याय का विरोध अनिवार्य है

   द्वितीय  विश्वयुद्ध  चल  रहा  था   l  महर्षि  अरविन्द  को  एहसास  हुआ  कि  अंग्रेजों  से  घ्रणा  करने  के  कारण  आश्रम  के  कुछ  अन्तेवासी  मन  ही  मन   हिटलर  की  विजय  की   दुआ  करने  लगे  हैं  l  आपस  की  चर्चाओं  में  भी  कभी - कभी  यह  बात   आ  ही  जाती  है  l   श्री  अरविन्द  ने  तत्कालीन  शीर्ष  कार्यकर्ताओं  की  शाम  की   एक  बैठक  में  कहा  ---- "  जो  लोग  ऐसा  कर  रहे  हैं ,  वे  असुरता  की  विजय  चाहते  हैं  l  भारतीय  मूल्य  हमें  ऐसा  नहीं  करने  देंगे  l  ऐसे  व्यक्ति  जो  हिटलर  की  विजय  की  इच्छा  रखते  हों  ,  आश्रम  से  चले  जाएँ  l  प्रश्न  मूल्यों  का  है  l  हम  परमात्मा  की  ,  आदर्शों  की  विजय  चाहते  हैं  l  "
   श्री  अरविन्द  कहते  थे  ---- " युवाओं  को  ही  नूतन  विश्व  का  निर्माता  बनना   है  l  उन  सभी  को  मैं  आमंत्रित  करता  हूँ   जो  एक  महानतम   आदर्श  के  लिए  सत्य  को  स्वीकारते  हुए ,  श्रम  करते  हुए  ,  मस्तिष्क  और  ह्रदय  को  स्वतंत्र  रखते  हुए  संघर्ष  कर  सकते  हैं  l  ये  ही  नवयुग  लायेंगे  l  "