7 February 2019

WISDOM ----- मैं दमन करने वालों का दंड अर्थात दमन करने की शक्ति हूँ ----- श्रीमद् भगवद्गीता

 भगवान  श्रीकृष्ण  अर्जुन  को  यह  सच  समझा  रहे  हैं   कि  जहाँ  भी  श्रेष्ठता  का  फूल  खिलता  है  ,  वहां  मेरी  ही  उपस्थिति  है   l    इस  क्रम  में  वे  स्वयं  को  दमन  करने  वालों  का  दंड   घोषित  करते  हैं   l  
        आज  हरेक  दूसरे  को  दबाना  चाहता  है  l   थोड़ी  सी  ताकत  का  एहसास  हुआ  कि   व्यक्ति  औरों  को  दबाने  का  ,  उनको  दमित  करने  का  ख्वाब  देखने  लगता  है   l  संसार  में  , शासन  में  , समाज  में  और  घरेलू  जिन्दगी  में  दमन  के ,  दूसरे  को  दबाने  के , दंड  देने  के  सैकड़ों  उदाहरण  मिल  जाते  हैं   l   यह  दमन   पाशविक  है  , नीतिहीन  है , पशुता  है   l       ऐसे  में  जब  भगवान  स्वयं  को  दमन  की  शक्ति   कहते  हैं     तो  यहाँ  ईश्वरीय  भाव  है -- अन्याय , अनीति , अत्याचार ,  अनाचार , दुराचार , शोषण ,  भ्रष्टाचार  का  दमन  किया  जाता  है  ,  तो  दमन  ईश्वरीय  विभूति  बनता  है    और  जो  इसे करने  का  साहस  दिखाते  हैं  ,  दंड  उनके  हाथों  में  ईश्वरीय   शक्ति  के  रूप  में  सुशोभित  होता  है  l