14 January 2023

WISDOM -----

   जीवन -प्रसंग ---- राजा  शर्याति   अपने  परिवार  समेत   वन  विहार  को  निकले  l  एक  सुरम्य  सरोवर  के  निकट  पड़ाव  डाला  गया  l  बच्चे   इधर -उधर  खेल -कूद  करते  घूमने  लगे  l  मिटटी  के  ढेर  के  नीचे  से   दो  तेजस्वी  मणियाँ  जैसी  चमकती  दिखीं   तो  राजकुमारी  सुकन्या  को  कुतूहल  हुआ  l  उसने  लकड़ी   के  सहारे  उन  मणियों  को  निकालने  का  प्रयास  किया   किन्तु  उन  चमकीली  वस्तुओं  को  कुरेदने  पर   उनसे  रक्त  की  धारा  बह  निकली  l  सुकन्या  को  दुःख  भी  हुआ  और  आश्चर्य  भी  l  वह  घटना  का  कारण  जानने  के  लिए  पिता  के  पास  पहुंची  l  राजा  शर्याति  ने  सुना  तो  वे  स्तब्ध  रह  गए  l  उन्हें  ज्ञात  था  कि  समीप  के  एक  टीले  के  नीचे   च्यवन  ऋषि  तपस्या  कर  रहे  हैं  l  राजा  को  लगा  कि   हो -न -हो  ,  पुत्री  से  उन्ही  की  आँखें  फूट   गईं  हैं  l  वे  सपरिवार  घटना स्थल  पर  पहुंचे    तो  देखा  कि  वहां  च्यवन  ऋषि  नेत्रहीन  होकर  कराह  रहे  हैं   l  राजा  को  महसूस  हुआ  कि  उनकी  पुत्री  से   अनजाने  में  पाप  हो  गया  , उन्होंने  इसके  लिए  ऋषि  से  क्षमा  मांगी  l  ऐसे  में  राजकुमारी  सुकन्या  ने  अभूतपूर्व  साहस  दिखाया  l  वह  बोली --- " पिताजी  ! पाप  का  प्रायश्चित   कर्ता    को  स्वयं  ही  करना  चाहिए  l  मैं  आजीवन   नेत्रहीन  ऋषि  च्यवन  की  पत्नी  बनकर   उनकी  सेवा  करुँगी  l  यही  मेरे  कर्मों  का  प्रायश्चित  होगा  l  "   आत्म त्याग  का  इतना  बड़ा  साहस  रखने  वाली   आत्मा  महान  होगी  , ऐसा  विचार  कर   अनेक  देवता  उसे  प्रणाम  करने  पहुंचे  l  l  विवाह  की  परंपरा  पूर्ण  की  गई  l  सुकन्या  अंधे  और  वृद्ध  पति   को  देवता  मानकर   प्रसन्न  मन  से   धैर्य पूर्वक  उनकी  सेवा  करने  लगी  l  देवता  उसकी  साधना  से  प्रभावित  हुए   और  अश्विनीकुमारों  ने  च्यवन   ऋषि  की  वृद्धता  और  अन्धता  को  दूर  कर  दिया  l   उन्ही  के  नाम  पर  च्यवनप्राश  प्रसिद्द  है  l  सुकन्या  का  जीवन  सार्थक  हो  गया   l