10 May 2022

WISDOM -----

    लघु -कथा ------ एक  राजा  को  असाध्य  रोग   हो  गया   l वैद्यों  ने  बताया  कि  राजहंसों  का  मांस  खाना   चाहिए  l  हंस  मानसरोवर  पर  रहते  थे   और  साधु - संतों  के  ही  निकट   आते  थे  l  कोई  भी  संत  इस  पापकर्म  के  लिए  तैयार  नहीं  हुआ   l  एक  बहेलिया  पैसे  के  लालच  में   संत  का  बाना  पहनकर   वहां  जाकर   हंसों  को  पकड़कर  लाने  के  लिए  तैयार  हो  गया  l  मानसरोवर  के  हंस   साधू -संतों  को  देखकर  उड़ते  नहीं  थे  इसलिए  बहेलिये  ने  संत  का  वेश  रखकर  छल  से  उन्हें  पकड़  लिया   और  राजा  के  सामने  प्रस्तुत  किया  l  राजा  ह्रदय  से  उदार  था  ,  छल  से  पकड़े  हुए  उन  हंसों  को  देखकर  राजा  को  बहुत  ग्लानि  हुई   कि   वो  ये  कैसा  भयंकर  पाप  करने  जा  रहा  है  l  उसने  तुरंत  सब  हंसों  को  मुक्त  कर  दिया   और  सोचा  कि  भगवान  को  ठीक  करना  होगा  तो   करेंगे  l  बहेलिये  पर  इस  घटना  का  सर्वाधिक  प्रभाव  पड़ा  l  उसने  सोचा  जिस  संत  वेश  के  लिए  हंसों  तक  में  श्रद्धा  है  ,  उसे  कलंकित  नहीं  करना  चाहिए  l  उसने  संन्यास  ले  लिया   और  संत  बन  गया  l   उधर  राजा  भी  चमत्कारिक  ढंग  से  ठीक  हो  गया    l     आचार्य  श्री  लिखते  हैं ---- 'वेश  की  जब  इतनी  महत्ता  है  ,  तो  उस  चोले  को  धारण  करने  वाले  लोग  भी   कर्म  वैसे  ही  करें , तो  ही  सार्थकता  है   l  आज  तो  ऐसे  वेशधारी  बहेलिया  बने  बैठे  हैं  l  '