स्वामी विवेकानंद 1894 में स्वामी ब्रह्मानंद को लिखे एक पत्र में उल्लेख करते हैं कि यह संसार कार्यक्षेत्र है, भोगभूमि नहीं है | काम हो जाने पर सभी घर जायेंगे-- कोई आगे, कोई पीछे | कर्म से ही जीवन की परिभाषा बनती है | कर्म ही सब कुछ एवं सर्वोपरि है | इससे बड़ा कुछ नहीं है |
जीवन की सार्थकता कर्तव्य कर्म का समुचित रूप से निर्वाह करने में है | जो कर्तव्य हमें मिला है, जिसे हमें करने को दिया गया है, उसे सही व श्रेष्ठ रूप में कर लेने में ही बुद्धिमता है |
स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि कर्तव्य उससे निभता है, जिसके मन में साहस तथा ह्रदय में प्रीति
है | साहस व शौर्य के साथ ह्रदय में झलकती भावना भी हो , तभी कर्तव्य का समुचित निर्वहन होता है | एक की भी कमी रह जाये तो समग्रता नहीं आ पाती है |
संसार में प्रत्येक इनसान का अपना स्वधर्म, कर्तव्य होता है | और उस कर्तव्य को शानदार ढंग से निभाने के लिये भगवान कुछ अवसर भी देते हैं | जो इस अवसर का लाभ उठाकर अपने कार्य में तत्पर हो जाता है, उसी का जीवन सार्थक व प्रसन्न होता है |
जीवन का हर पल मूल्यवान है | कौन जानता है कि जीवन का कौन सा पल-क्षण आपको कहाँ से कहाँ पहुंचा दे | हर पल अपनी क्षमता के अनुरूप विवेकपूर्ण रीति-नीति से किया गया श्रेष्ठ कर्म उतरोतर व्यक्ति को उस मुकाम की ओर ले जाता है, जहाँ इस सुरदुर्लभ मानव जीवन की सफलता एवं सार्थकता की अनुभूति से जीवन धन्य हो उठता है |
जीवन की सार्थकता कर्तव्य कर्म का समुचित रूप से निर्वाह करने में है | जो कर्तव्य हमें मिला है, जिसे हमें करने को दिया गया है, उसे सही व श्रेष्ठ रूप में कर लेने में ही बुद्धिमता है |
स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि कर्तव्य उससे निभता है, जिसके मन में साहस तथा ह्रदय में प्रीति
है | साहस व शौर्य के साथ ह्रदय में झलकती भावना भी हो , तभी कर्तव्य का समुचित निर्वहन होता है | एक की भी कमी रह जाये तो समग्रता नहीं आ पाती है |
संसार में प्रत्येक इनसान का अपना स्वधर्म, कर्तव्य होता है | और उस कर्तव्य को शानदार ढंग से निभाने के लिये भगवान कुछ अवसर भी देते हैं | जो इस अवसर का लाभ उठाकर अपने कार्य में तत्पर हो जाता है, उसी का जीवन सार्थक व प्रसन्न होता है |
जीवन का हर पल मूल्यवान है | कौन जानता है कि जीवन का कौन सा पल-क्षण आपको कहाँ से कहाँ पहुंचा दे | हर पल अपनी क्षमता के अनुरूप विवेकपूर्ण रीति-नीति से किया गया श्रेष्ठ कर्म उतरोतर व्यक्ति को उस मुकाम की ओर ले जाता है, जहाँ इस सुरदुर्लभ मानव जीवन की सफलता एवं सार्थकता की अनुभूति से जीवन धन्य हो उठता है |