27 September 2021

WISDOM

   मधुसूदन  सरस्वती   भारत  के  ऐसे  प्रकांड  पंडितों  में  गिने  जाते  हैं  ,  जिनने   काशीधाम  में  बैठकर   सारी  विश्व - वसुधा  को   अपने  ज्ञान  और  भक्ति  से  प्रभावित  किया   l  उनने  वेदांत  का  अध्ययन   किया  l  ' अद्वैत  - सिद्धि '  नामक   उनका  ग्रन्थ  बड़ा   प्रसिद्ध  है   l  वे  यात्रा  पर  थे   ,  अपने  गुरु   विश्वेश्वर  सरस्वती   के  आदेश  पर   यमुना   तट  पर  आसन  जमाया   l   इस  बीच   एक  अलौकिक  घटना  घटी  l --- सम्राट  अकबर   की राजमहिषी  शूल  रोग  से   बहुत  त्रस्त  थीं   l  एक  रात  उन्होंने   स्वप्न   देखा  कि   यमुना  के  किनारे  एक  संन्यासी  तप  कर  रहे  हैं  l  उनकी  औषधि   मिलते  ही  वे  स्वस्थ  हो  गईं l   उनने  सम्राट  को  बताया   l   अकबर  ने  पता  लगाया  , समाचार  सही  था  l  एक  तरुण  तपस्वी  चारों  ओर   से  बालू   से  ढका   तप  कर  रहा  था   l   राजमहिषी  वहां  गईं   और  अपने  रोग  के  बारे  में    मधुसूदन   सरस्वती  को  बताया   l   वे  बोले ---- " माँ  !  तुम  घर  जाओ  ,  तुम  शीघ्र  ही  रोगमुक्त   हो  जाओगी   l  "  ऐसा  ही  हुआ   , भेंट  में  मिली  दौलत  उन्होंने  स्वीकार   नहीं  की   l   इसके  बदले  में     हिन्दू  संन्यासियों  पर   मुस्लिमों  के  बढ़ते  अत्याचार   को  रोकने   व  संन्यासियों  की  रक्षा  करने   की  बात  कही   l   इसके  बाद   शासन  ने  उनकी  रक्षा  की   और  नागा  संन्यासियों     ने     आत्मरक्षा    का  प्रशिक्षण    मधुसूसन   के  मार्गदर्शन    में  लिया  l