7 September 2018

WISDOM ------- आलस्य से बढ़कर अधिक घातक और समीपवर्ती कोई दूसरा नहीं ----- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आलस्य  मनुष्य  की  सबसे  ज्यादा  घातक  वृति  है  l  आलसी  व्यक्ति  के  अन्दर  कुछ  करने  की  प्रेरणा  नहीं  होती  ,  कुछ  काम  करने  का  उत्साह  नहीं  होता  l  आलस  मन  का  एक  स्वभाव    है  जो  दीखता  मनुष्य  के  व्यवहार  में  है   l  ऐसे  आलसी  व्यक्ति  समाज  पर  बोझ  होते  हैं  l
 ब्रिटिश  लेखक  और  राजनीतिज्ञ   बेंजामिन  डिजरायली  का  इस  बारे  में  कहना  है  कि --- ' काम  से  हमेशा  ख़ुशी  मिले  , यह  जरुरी  नहीं  ,  पर  यह  तय  है  कि  ख़ुशी  बिना  काम  किये   नहीं  मिल  सकती  l '  इसलिए  जिन्दगी  को  बेहोश  करने  वाले    आलस  के  नशे  का  त्याग  कर   जिन्दगी  की  असली  खुशी  की  तलाश  करनी  चाहिए  और  यह  हमें  बिना  काम  किये  नहीं  मिल  सकती  l  काम  कर  के  ही  हम   जिन्दगी  का  असली  सुकून   प्राप्त  कर  सकते  हैं   l  

WISDOM ------ मानसिक गुलामी से आजादी जरुरी है

  केवल  शारीरिक  द्रष्टि  से  आजाद  होना  पर्याप्त  नहीं  है  l  यदि  कोई  व्यक्ति , समाज  अथवा  देश  अपने  को  गुलाम  बनाने  वाले  की  नीतियों पर  चल  रहा  है ,  उनकी  भाषा ,    उनके  तौर - तरीके  और  उनकी संस्कृति  को  अपना  रहा  है  ,  तो  इसका  अर्थ  है  कि  वह  अभी  तक  गुलाम  है  l 
 अंग्रेजों  ने  भारत  में  '  फूट  डालो  और  राज  करो  '  की  नीति  अपनाई  l   उन्होंने  भारत  की  जिन  रियासतों  अथवा  प्रान्तों  पर  विजय  पाई , वह  उन  पर  खुला  आक्रमण  कर  के  अर्जित  नहीं  की  ,  बल्कि  आपस  में  फूट  डालकर   और  बाद  में  किसी  एक  दल  का  पक्ष  लेकर  अपनी  कुटिल  नीति  के  सहारे  अपनी  जड़ें   जमाई  l   फ्रेडरिक जॉन  शीअर  नामक  एक  अंग्रेज   ने   1835  में  अपने  एक  लेख  ' इंडियन  आर्मी ' में  लिखा  था ---- " हिन्दुस्तानियों  में  राष्ट्राभिमान  तो  है  ,  पर  वे  कभी  एक  नहीं  हो  सकते  l  यही  हमारे  साम्राज्य  की  सामर्थ्य  है   l "
 अंग्रेजों  की  भेद  नीति  यानि  की  संगठन  को  विघटन  में  बदलने  की  कुटिल  नीतितीव्र  गति  से  चलती  गई  और  उसी  गति  से  उनका  साम्राज्य  भी  बढ़ता  गया  l   भारत  में  1857  में  हुए  स्वतंत्रता  संग्राम   से  ब्रिटिश  राज  कैसे  बच     गया  ,  इसकी  मीमांसा  सर  जॉन  सीली ने  इस  प्रकार की  है  ----"एक  जाति  के  खिलाफ  दूसरी  जाति  को  लड़ाकर  ही  बहुतांश  में  यह  गदर  मिटाया  गया  l "  जॉन  सीली  ने   अपने  एक  ग्रन्थ  'द  एक्सपैंशन  ऑफ  इंग्लैंड '  में  व्यक्त  किये  l  उन्होंने  आगे  लिखा  है ---- " जब  तक  यहाँ  के  लोग   सरकार  की  आलोचना  करने  और  उसके खिलाफ  बगावत  करने   के  आदी  नहीं  हो  जाते  ,  तब  तक  इंगलैंड  में  बैठकर  मजे  से  हिंदुस्तान  पर  हुकूमत की  जा  सकती  है   लेकिन  यदि  यहाँ  के  लोगों  में  संघर्ष  करने  की  भावना  पैदा  हो  गई  ,  उन्हें  संगठित  होकर  रहना  और संगठित  रहकर  काम  करना  आ  गया   तो उसके  आगे  हमें  अपने  प्रभुत्व  के  कायम  रहने  की  आशा   बिलकुल  छोड़  देनी  चाहिए  l  "
                          जब  तक  जागरूकता  न  हो  पुरानी   आदतें  छूटती नहीं  है   l   युगों  तक  भारतीय  आपस  में   लड़ते  रहे  ,  बिना  जागरूकता  के  आपस  में  लड़ने  की  यह  आदत  कैसे  छूटे   ?