13 February 2014

अध्यात्म

'अध्यात्म  का  मूल  मर्म   आत्मपरिष्कार  में  है, अहंकार  के  विसर्जन  में  है  और  जीवन  को  गलाने, गढ़ने  एवं  उसे  विकसित  करने  में  है  | असली  अध्यात्म  कामनाओं  की  पूर्ति  में  नहीं, वरन  अपने  द्रष्टिकोण  को  बदलने  में  है  |'
        भगवान  का अनुग्रह  अर्जित  करने  के  लिये  शुद्ध  जीवन  की  आवश्यकता  है  | कर्मकांड  की  विभिन्न  क्रियाओं  से  कुछ  नहीं  होता  | भजन  का  भावनाओं  से  सीधा  संबंध  है  | जहां  भावनाएँ  होंगी, वहां  मनुष्य  अपने  गुण, कर्म, स्वभाव  में  सात्विकता  का  समावेश  अवश्य  करेगा  |