'अध्यात्म का मूल मर्म आत्मपरिष्कार में है, अहंकार के विसर्जन में है और जीवन को गलाने, गढ़ने एवं उसे विकसित करने में है | असली अध्यात्म कामनाओं की पूर्ति में नहीं, वरन अपने द्रष्टिकोण को बदलने में है |'
भगवान का अनुग्रह अर्जित करने के लिये शुद्ध जीवन की आवश्यकता है | कर्मकांड की विभिन्न क्रियाओं से कुछ नहीं होता | भजन का भावनाओं से सीधा संबंध है | जहां भावनाएँ होंगी, वहां मनुष्य अपने गुण, कर्म, स्वभाव में सात्विकता का समावेश अवश्य करेगा |
भगवान का अनुग्रह अर्जित करने के लिये शुद्ध जीवन की आवश्यकता है | कर्मकांड की विभिन्न क्रियाओं से कुछ नहीं होता | भजन का भावनाओं से सीधा संबंध है | जहां भावनाएँ होंगी, वहां मनुष्य अपने गुण, कर्म, स्वभाव में सात्विकता का समावेश अवश्य करेगा |