पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' अगर आप दूसरों से स्नेह , सम्मान , सहानुभूति चाहते हैं तो उनकी आलोचना , बुराई न करें l किसी की आलोचना करने से कोई फायदा नहीं होता l आलोचना से कोई सुधरता नहीं है , बल्कि इससे संबंध जरूर बिगड़ जाते हैं l ' अब्राहम लिंकन ने अपने जीवन के अनुभव से दूसरों की आलोचना करने के बुरे परिणाम को जाना l उनका प्रिय कोटेशन था ---- " किसी की आलोचना मत करो , ताकि आपकी भी आलोचना न हो l " जब भी श्रीमती लिंकन और दूसरे लोग दक्षिणी प्रान्त के लोगों की आलोचना करते तो लिंकन जवाब देते थे ---- " उनकी आलोचना मत करो , अगर हम उन परिस्थितियों में होते तो हम भी वैसे ही होते l " लिंकन अपने जीवन के कटु अनुभव से जानते थे कि तीखी आलोचना और डांट - फटकार हमेशा नुकसानदायक होती है और उससे कोई लाभ नहीं होता l आलोचना यदि दूसरों को सुधारने के लिए भी हो तो दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारना ज्यादा फायदेमंद होता है और कम खतरनाक भी l " आचार्य श्री लिखते हैं ---- " यदि किसी के मन में स्वयं के प्रति विद्वेष पैदा करना है , जो दशकों तक पलता रहे और मौत के बाद भी बना रहे , तो इसके लिए कुछ ख़ास नहीं करना पड़ता , सिर्फ चुनिंदा शब्दों में चुभती हुई आलोचना करनी होती है l जाने - अनजाने ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं और दूसरों के मन में खुद के प्रति विषबीज बो देते हैं l "
14 January 2022
WISDOM -----
आज जब संसार में बीमारी , महामारी का कोहराम है , लोग भयभीत हैं l अपना स्वाभाविक जीवन नहीं जी पा रहे हैं l यह स्थिति समस्त संसार के लिए एक संकेत है कि ' वेदों की ओर लौट चलो ' प्रकृति का सम्मान करो , प्रकृति हमें पोषित करेगी l ------ ऋषियों ने हमें ज्ञान दिया -----' वेदों में सूर्य किरण चिकित्सा का वर्णन बड़े विस्तार से आता है l मत्स्य पुराण कहता है नीरोगता की इच्छा है तो सूर्य की शरण में जाओ l वेदों में उदित होते सूर्य की किरणों का बड़ा महत्व बताया गया है l अथर्ववेद में वर्णन है कि उदित होता सूर्य मृत्यु के सभी कारणों , सभी रोगों को नष्ट कर देता है l इस समय की किरणों में जीवनी शक्ति होती है l ऋग्वेद में उल्लेख है कि रक्त अल्पता की सर्वश्रेष्ठ औषधि है उदित होते सूर्य के दर्शन, ध्यान l हृदय की सभी बीमारियाँ नित्य उगते सूर्य के दर्शन , ध्यान एवं अर्घ से दूर हो सकती हैं l " पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है --- जिन देशों में सूर्योदय के दर्शन किसी कारण से संभव नहीं होते हैं तो आप मन में सूर्योदय की कल्पना कर सकते हैं कि पवित्र प्रकाश हमारे रोम - रोम में समा रहा है और ऐसी कल्पना के साथ अर्घ दे सकते हैं l '