2 November 2020

WISDOM -----

   श्रीमदभागवत   पुराण  में  गजेन्द्रमोक्ष  नाम  से  एक  कथा  आती  है  कि   क्षीरसागर  में  दस  हजार  योजन  ऊँचे   त्रिकूट  नामक  पर्वत  की  तलहटी  में   गजेंद्र  ( हाथी )  अपने  परिवार  सहित  रहता  था l  एक  बार  वह    निकटवर्ती  मनोरम  तालाब  में   जलक्रीड़ा   कर  रहा  था   कि   पूर्वजन्म  की  दुश्मनी   के कारण  ग्राह  ( मगरमच्छ ) ने   गजेंद्र  को  पकड़  लिया  l   दोनों  ही  बलशाली  होने  के  कारण   एक  हजार  वर्ष  तक  लड़ते  रहे  l   अंत  में  गजेंद्र  का  बल  क्षीण  होने  लगा  ,  तब  उसने  भगवान  श्रीहरि  की  स्तुति  की  ,  जो  उसे  पूर्वजन्म  की   स्मृति  के  कारण   इस  जन्म  में  भी  कंठस्थ  थी  l   गजेंद्र  की   आर्त   पुकार  सुनकर   भगवान  श्रीहरि   गरुड़  पर  सवार  होकर    शीघ्र  उसके  समीप  उपस्थित   हुए  और  अपने  सुदर्शन  चक्र  से  ग्राह   का  मुंह  फाड़कर   गजेंद्र  को  उससे  मुक्त  कराया  l   इस  पौराणिक  कथा  में     ग्राह   लोभ  एवं   भय --- दोनों  का  प्रतीक   है   जिसके  चंगुल  में  मनुष्य  फंस  जाता  है   और  निकल  नहीं  पाता   है  ,  लेकिन  भगवान  को  निरंतर  सहायता  के  लिए  पुकारने  से  ही   हम  इस  लोभ  और  भय   के  चंगुल  से  निकल  पाते  हैं   l