5 November 2017

धर्म की सार्थकता इसमें है कि वह उन्नत और सदाचारी जीवन यापन की पद्धति को दर्शा सके ----- खलील जिब्रान

 उनका  कहना  था  कि  ऐसा  धर्म  जो  गरीब  और  असहाय  लोगों  का  गला  काटता  है  ---- धर्म  नहीं  कुधर्म  है   l  उन्होंने  आडम्बर  का  जमकर  विरोध  किया  l  जिस  पूजा पाठ  में   मानवता  को  विकसित  होने  के  द्वार  ही   बंद  कर  दिए  गए  हों  ,  वहां  भला  ईश्वर  की  अनुभूति  कहाँ  संभव  थी   l  धर्म  का   जो  आडम्बर युक्त  स्वरुप   आज  चल  रहा  है   वह  उस  विनाश  और  धरती  पर  निरंतर  बढ़ते  नारकीय  वातावरण   को  रोक  नहीं  सकता   क्योंकि  उसमे  उस  वैचारिक  सम्पदा  और  अध्यात्म  की  प्रेरणा  शक्ति  का  अभाव  होता  है   l