5 April 2022

WISDOM ----

  वैराग्य  शतक  में  भतृहरि   ने  भय  की  स्थिति  का   सूक्ष्म  विश्लेषण  किया  है ---- ' भोग  में  रोग   का भय  है ,  सत्ता  में  गिरने  का  भय  है  ,  धन  में  खोने  का , उसके  चोरी  होने  का  भय  है  ,  सत्ता  में  शत्रुओं  का  भय  है  ,  मान - सम्मान  में  अपमान  का  भय  ,  सौंदर्य  में  बुढ़ापे  का  भय  ,  शरीर  में  मृत्यु  का  भय  है   l   इस  तरह  संसार  में  सब  कुछ  भय  से  युक्त  है  l  '     पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य श्री   लिखते  हैं ----- ' भय  को  भय  से  निपटने  के  नकारात्मक  रवैये  ने   समूची  मानव  जाति   को   अवर्णनीय  त्रासदियों  एवं  दुःख - कष्टों  से   गुजरने  के  लिए  विवश  किया  है   क्योंकि   भय  की  नकारात्मक   शक्ति    अविश्वास , घृणा   एवं  हिंसा  की  वाहक  होती  है   l   चंगेज  खां   ने  लगभग  आधी  दुनिया  का  क़त्ल   जनता   को भयभीत  कर   अपने  अधीनस्थ  करने  के  लिए  ही  किया  था  l  '  आज  भी  अमानवीय  कृत्य , नर - संहार , अत्याचार   के मूल  में  भय  ही  है  l   अध्यात्मवेत्ताओं  के  अनुसार ----  संकीर्ण  स्वार्थ ,  दैहिक  वासना  और  अहंकार  से  युक्त  अनैतिक  जीवन   भय  का  प्रमुख  कारण  है  l   इस  तरह  के भय  से  मुक्ति  का   एकमात्र  मार्ग   ईश्वरीय  अनुशासन  को  अपने  जीवन  में   धारण  करना  है  l 

WISDOM -----

   संत  तुकाराम  के  जीवन  में  जब   अनेक  विपत्तियां  आईं  तो  उन्होंने  भगवान  को  पत्र   लिखा  ---- ' हे  भगवान  ! अच्छा  ही  हुआ  , जो  आपने  मेरा  धन  छीन  लिया  l  पत्नी  और  बच्चे  भी  बीमारी   के  कारण  साथ  नहीं  रहे , यह  भी  अच्छा   ही हुआ  l   मैं  हर  प्रकार  से  दुर्दशा  भोग  रहा  हूँ  -- यह  भी  एक  तरह  से  ठीक  ही  है  l   संसार  में  घोर  अपमानित  हो  रहा  हूँ  ---- यह  भी  अच्छा  ही  है  ,  क्योंकि  इन्ही  कष्टों   की  राह  से  गुजर  कर   आपकी  मधुर , शांत  गोद   मिलती  है  l  '