6 April 2020

WISDOM -------

दूसरों पर अपना प्रभुत्व कायम रखने की लालसा और इसके लिए आधुनिक अस्त्र -शस्त्र व यंत्रों  के निर्माण की अंधी दौड़ ने मानव सभ्यता को उस स्थिति में पहुंचा दिया जहाँ मनुष्य , मनुष्य से डरने लगा , इतना ही नहीं उसके बेजान शरीर से भी  भयभीत है प्रकृति के संकेत को समझें 'जियो और जीने दो ' l
   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  अपनी  अमृतवाणी  में  कहा  था ----- "  अब  जिन  परिस्थितियों  में  मनुष्य  रह  रहा  है   और  जिस  रास्ते  पर  चल  रहा  है  ,  उस  पर  मौत  के  अलावा  दूसरी  चीज  हमको  दिखाई  नहीं  पड़ती  l   हम  और  आप  ऐसे  वक्त  में  रह  रहे  हैं   जिसमे  इनसान   का  स्वार्थ  बेहिसाब  रूप  से  बढ़ता  जा  रहा  है  l   आदमी  समझदार  तो  बहुत  होता  जा  रहा  है  ,  पर  आदमी  पत्थर  का  बनता  जा  रहा  है  ,  निष्ठुर  बनता  जा  रहा  है  --------  काम - वासना  और  तृष्णा  के  अलावा  और  कोई  दूसरा  लक्ष्य  नहीं  है  l  ऐसा  घिनौना  लक्ष्य  जिससे  इनसानियत   भी  शर्मिंदा  होती  है  l  अब  इसके  अंदर  से  दया , करुणा  , ममता , स्नेह , दुलार  और  आदर्शवाद  के  सारे  सिद्धांत   खतम   होते  जा  रहे  हैं   l   अगर  तरक्की  इसी  हिसाब  से  होती  चली  गई   तो  आप  देखना   आदमी  को  एक - दूसरे  से  डर   मालूम  पड़ेगा   l   पहले  आदमी  को  देखकर  हिम्मत  बंधती   थी  कि   आदमी  आ  गया , वह  हमारी  सहायता  कर  सकता  है  ,  हम  एक  से  दो  हो  गए   l   लेकिन  अब  हमको  भय  मालूम  पड़ता  है  कि   कहीं  ऐसा  न  हो  कि   हमारे  साथ - साथ  जो  व्यक्ति  चलता  है  ,  वही  हमारे  लिए  पिशाच  न  सिद्ध   हो  l ----------   आदमी  की  जो  तरक्की  हो  रही  है  ,  उसे  देखकर  ऐसा  मालूम   पड़ता    है    कि   इससे  तो  हमारा  पिछड़ापन  लाख  दरजे   अच्छा  था  ,  यह  तरक्की  मुझे  बड़ी  खौफनाक  मालूम  पड़ती  है  l  "--------------
  आचार्य श्री  ने  हमें  भविष्य  के  प्रति  आशावान  किया  है  --- रात  के  बाद  जब  दिन  आ  सकता  है   तो  इस  गंदे  जमाने   के  बाद   अच्छा  समय  भी  आएगा  l भविष्य  की  आशाएं  हमको  कहती  हैं  --- नया  युग  आएगा ,  ऐसा  युग  आएगा   जिसमे   आदमी  के  पास  प्रेम , त्याग , नीति ,  भलमनसाहत   आदि  सद्गुण  होंगे  ,  थोड़े  साधनों  में  गुजरा  कर  लेगा   l  मनुष्य  संयम  से  रहना  सीखेगा   और  इसी  शरीर  में  से  अपनी  मजबूती  पैदा  कर  लेगा   l 

WISDOM ---- जीवन जीना एक कला है

   एक  व्यापारी  रेगिस्तान  के  रास्ते  व्यापार   कर  के  लौट  रहा  था  l   उसने  अपनी  झोली  में  कई  कीमती  हीरे - जवाहरात  आदि  भर  रखे  थे   l  उसके  मित्रों  ने  उसे  समझाया  कि   कुछ  जवाहरात  छोड़  दे   और  उनके  बदले  पानी  की  चिश्तियां  बाँध  ले  ,  परन्तु  उसने  उनकी  राय  नहीं  मानी   और  अपनी  यात्रा  जारी  रखी  l   रास्ते  में  उसकी  भोजन  सामग्री   व  पानी  समाप्त  होने  पर   जब  वह  निढाल  हो  गया  ,  तब  उसे  एहसास  हुआ  कि   हीरे - जवाहरातों  से  पेट  नहीं  भरा  जा  सकता  l
 मनुष्य  इसी  प्रकार  निरर्थक  साधनों  के  पीछे  भागने  में  अपना  जीवन  बरबाद  कर  देता  है  l   तृष्णा  कभी  समाप्त  नहीं  होती   l  संतुलन  जरुरी  है  l